Book Title: Upasaka Dasha Sutram
Author(s): A F Rudolf Hoernle
Publisher: Bibliotheca Indica
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लोम
[ २२६ ]
वण
लोम (लोमन् ), "मेहिं 5 ८४ (पृ" वईवयमाण (व्यतित्रजन्त), "णे 6 ०६ ।
४६), (५ (३' ५०), रोम इति द्र"। वकवेव (व्याक्षेप),"वेणं ६६ (" २८)। लोयण (लोचन), . "णं ६ १०७। वग्गरा (वागुरा), "रा० ६ १०, लोलुय (लोलुप), "या $ २४०, । ११६, १६०। २४२; पाठान्तरे लोलया (लोलिका, वच्छ (वक्षम्), "च्छे ६४ (पृ" ४८). लोला इति विवरणकारः)।
"च्छं (बहुव्रीहिसमासे) 6 ११२ । लोलय (लोलुप, नरकस्य नाम), "ए वज्ज (वज्र), "ज्ज००६ ।
२0७; लोलुयक्षुच इति ट्र"। वज्जय (वर्जक), "ए 5२०७४। लोलयचत्र (लोलुपाच्युत नरकस्य वज्जिय (वर्जित), "या (संबोधने)
नाम), "$७४, ८३, २५३; "ए | १४ ० (पृ" ७६ )।
5२५५, २५७, लोलुय इति द्र”। वट्ट (मृत्त), " ६४ (पृ” ४८)। लोलया (लोलुपा), "य० (समासे) वट्टमाण (वर्तमान), "णस्म ६ ६ ६
१०४,८३, २५३, २५५, २५01 (” २०), १०८, २२३. "णाणं Vलोले (लोलय लुन्न-धातोर्णिजन्ते), २०५ ।
"ले १ १ ० ५, "लेमि , १०२। वट्टय (वर्तक), "यं 5 २ १८ (" लोह (लोह), "ह० 5 १०८। १३३) । लोहिय (लोहित), "य० ६ १०७।। वडिय (पतित), "ए 6 १ १ ३ (ट' ६३)।
वडिस (अवतंस वतंस वा ), से 5 व (व), 5 ८४ (पृ' ४७, ४६);
व्व दुव इति ट्र"। व्यञ्जनात्परे इव, वडिमग वा वडिमय (अवतंमक वतंवरात्परे व्व, अनुस्वारात्परे व इति सक वा), "गस्म ८८, १४४, प्रयञ्चते ॥
"यस्म 5 १२४ । वरकन्त (व्यतिक्रान्त), "ना २२३, वडावय (वर्धापक वर्धक वा), "वए
२४ ५; "नाई ६६ (४” २०), ५, १२० । १७८,२७१ । पाठान्तरे तु विक्कन्त वडि (दि), "ट्टि. 5 ४, १०, १२, इति दृग्यते ॥
। १२०, १५८, १६ १, १६३, १८२, वाय (ब्रतिक), "यं 5 १२, ५८ (ट' २०४, २३२, २६६, २०३।।
२०, २५), २.४, २१०, २११। वण (वन), ".5 ५१; ०" ०६

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