Book Title: Tulsi Prajna 2005 07 Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya Publisher: Jain Vishva Bharati View full book textPage 7
________________ तीनों गुणों का समावेश पाया जाता है वह श्रावक है। व्रतधारी गृहस्थ को श्रावक, उपासक और सागर आदि नामों से अभिहित किया जाता है। यह श्रद्धापूर्वक अपने गुरुजनों-मुनियों के प्रवचन का श्रवण करता है, अतः यह श्राद्ध या श्रावक कहलाता है। श्रावक आचार का वर्गीकरण कई दृष्टियों में किया जाता है। श्रावक के लिए निम्नलिखित क्रियाओं का पालन करना आवश्यक माना गया है। सागर धर्मामृत में पण्डित आशाधरजी ने कहा है - न्यायोपात्तधनो यजन् गुणगुरून् सद्गीस्त्रिवर्ग भजनन्योन्यानुगुणं तदर्हगृहिणीस्थानालयो हमयः। युक्ताहारविहारआर्यसमितिः प्रज्ञाः कृतज्ञो वशी, श्रृण्वन् धर्मविधिं दयालुरधमी: सागरधर्म चरेत्॥11॥ 1. न्यायपूर्वक धनोपार्जन - गार्हस्थिक कार्यों को सम्पादित करने के लिए आजीविका अर्जित करना आवश्यक है पर विश्वासघात, छल, कपट, धूर्तता और अन्यायपूर्ण धनार्जन करना त्याज्य है। 2. गुण-पूजा- आत्मा में मार्दव धर्म के विकास हेतु गुणी व्यक्ति और ज्ञान, दर्शन, चैतन्य आदि गुणों का बहुमान, श्लाघा एवं प्रशंसा करना गुण पूजा है । 3. प्रशस्त वचन- परनिन्दा और कठोरता आदि दोषों से रहित प्रशस्त तथा उत्कृष्ट वचनों का व्यवहार जीने के लिए हितकारी और उपयोगी है ।। 4. त्रिवर्गपुरुषार्थ - धर्म, अर्थ और काम इन तीनों पुरुषार्थों का विरोध रहित सेवन करना त्रिवर्ग सेवन है। 5. त्रिवर्गयोग्य स्त्री, ग्राम, भवन - त्रिवर्ग को साधने में सहायक स्त्री या भार्या है। सुयोग्य भार्या के रहने से परिवार में शान्ति, सुख और सहयोग विद्यमान रहते हैं। संयम, अतिथि सेवा एवं शिष्टाचार की वृद्धि होती है। भार्या के समान ही त्रिवर्ग में ही साधक भवन और ग्राम का होना भी आवश्यक है। 6. उचित लज्जा - लज्जा मानव जीवन का भूषण है। लज्जाशील व्यक्ति स्वाभिमान की रक्षा हेतु अपयश के भय से कदाचार में प्रवृत्त नहीं होता है। विरुद्ध परिस्थितियों के आने पर भी लज्जाशील व्यक्ति कुकर्म नहीं करता । वह शिष्ट व संयमित व्यवहार का आचरण करता है। ____7. योग्य आहार विहार- अभक्ष्य अनुपसेव्य और विरस के सेवन का त्याग करना तथा स्वास्थ्यप्रद और निर्दोष भोजन ग्रहण करना योग्य आहार है। 2 - - तुलसी प्रज्ञा अंक 129 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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