Book Title: Tulsi Prajna 2005 07 Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya Publisher: Jain Vishva Bharati View full book textPage 5
________________ प्रतिबिम्ब सामने वाला मेरे साथ अच्छा व्यवहार करता है, इसीलिए मैं उसके साथ अच्छा व्यवहार न करूं किन्तु उसके साथ मैं अच्छा व्यवहार इसलिए करूँ कि वह मेरा धर्म है। सामने वाला मेरे साथ बुरा व्यवहार करता है फिर भी मैं उसके साथ अच्छा व्यवहार करूं और इसलिए करूं कि वह मेरा धर्म है। अच्छा व्यवहार करने वाले के साथ बुरा व्यवहार करूं, इसका अर्थ है कि अच्छाई में मेरी कोई आस्था नहीं और बुराई से मेरा कोई वास्तविक विरोध नहीं है। मेरा कोई सिद्धान्त भी नहीं है, जिसे मैं सुरक्षित रखू और मेरी कोई आकृति भी नहीं, जिसे मैं देखं । क्या मैं परिस्थिति के दर्पण में वैसा प्रतिबिम्ब डालूं, जो मेरा अपनी नहीं है। - अनुशास्ता आचार्य महाप्रज्ञ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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