________________
जैन तीर्थंकरों का गजाभिषेक
. डा० ए० एल० श्रीवास्तव
विभिन्न जैन तीर्थंकरों की मध्यकालीन ऐसी अनेक प्रतिमाएं प्राप्त हुई हैं जिनके परिकर में लक्ष्मी-प्रतिमा जैसे दो गज अभिषेक मुद्रा में अंकित दिखाए गए हैं। सामान्यतया ये गज आकाश में उड़ते हुए मालाधारी विद्याधरों के ऊपर उकेरे गए हैं। गजाभिषेक वाली तीथंकरों की प्रतिमाए देश के विभिन्न भागों से मिली हैं । मध्य प्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान से ऐसी प्रतिमाएं अधिक संख्या में सामने आई हैं। स्थानक और आसनस्थ दोनों प्रकार की तीथंकर-प्रतिमाओं के परिकर में गजाभिषेक का अंकन उपलब्ध है।
जिन तीर्थंकरों की प्रतिमाओं में गजाभिषेक पाया गया है उनमें ऋषभदेव या आदिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीर, नेमिनाथ, अजितनाथ, संभवनाथ, विमलनाथ, शान्तिनाथ, कुन्थुनाथ, अरनाथ और धर्मनाथ की पहचान की जा चुकी है।
शिव जैसे ऊंचे जटाजूट से अलंकृत और ध्यान मुद्रा में आसनस्थ ऋषभदेव की एक ऐसी प्रतिमा की खोज प्रोफेसर कृष्णदत्त बाजपेयी ने मध्यप्रदेश के सरगूजा जनपद के महेशपुर नामक स्थान से की थी। १८ जनवरी, १९८३ ई० को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग में दिए गए अपने व्याख्यान के दौरान उन्होंने इस प्रतिमा का स्लाइड दिखाया था। प्रो. बाजपेयी के अनुसार यह प्रतिमा ८वीं शताब्दी ई० की है। योगमुद्रा में अर्द्धनिमीलित नेत्रों वाली इस तीर्थंकर प्रतिमा के दोनों पाश्वों में चंवरधारी एक-एक गंधर्व खड़ा है। दोहरी रेखाओं से खचित एक गोल प्रभा-मण्डल तीर्थकर के मुख के पीछे अंकित है। तीर्थंकर के शीर्ष के ऊपर एक तिहरी छत्रावली है जिसकी अगल-बगल नीचे मालाधारी विद्याधर और उनके ऊपर अभिषेक गजों का अंकन है ।
गजाभिषेक वाली ऋषभदेव की एक अन्य प्रतिमा मध्यप्रदेश के शहडोल जनपद स्थित धुबेला-संग्रहालय (सं० सं० ३८) में प्रदर्शित है।' बलुए पत्थर की ११वीं शताब्दी ई० में निर्मित यह प्रतिमा त्रिपुरी की कल्चुरि-कला की डाहल शैली का एक उत्तम उदाहरण है। बैठी मुद्रा वाली इस प्रतिमा के दोनों पाश्वों में एक-एक यक्षदम्पति हैं, उनके ऊपर मालाधारी विद्याधर हैं और सबसे ऊपर लटकती झल और रस्सों से अलंकृत अभिषेकी गज हैं जिनकी सूंड पंचहरी छत्रावली के ऊपर उठी हुई है। इस प्रतिमा का तिहरा प्रभामण्डल पद्मदलों से सुसज्जित है । खण्ड १८, अंक ३, (अक्टू०-दिस०, ९२)
१९९
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org