Book Title: Tirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Author(s): Nemichandra Shastri
Publisher: Shantisagar Chhani Granthamala
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गोरावाला, पण्डित अमृतलालजी शास्त्री एवं पण्डित उदयचन्द्रजी बौखदर्शनाचार्यका भी परामर्शादि योगदान मिला है।
पूज्य मुनिश्री विद्यानन्दजीने 'आच मिताक्षर' रूपमें आशीर्वचन प्रदान कर तथा वरिष्ठ विद्वान् श्रद्धेय पण्डित नेकानन्दजी शाहली नाकामा शिाहकर अनुगृहीत किया है।
खतौली, भोपाल, बम्बई, दिल्ली, मेरठ, जबलपुर, तेंदूखेड़ा, सागर, वाराणसी, आरा आदि स्थानोंके महानुभावोंने ग्रन्थका अगिम ग्राहक बनकर सहायता पहुँचायी है । विद्वत्परिषद्के कर्मठ मंत्री आचार्य पण्डित पन्नालालजी सागरके साथ मैं भी इन सबका हृदयसे आभार मानता है। वीर-शासन-जयन्ती, श्रावण कृष्णा १, दी निल सं० २५००,
दरबारीलाल कोठिया ५ जुलाई, १५७४
अध्यक्ष वाराण।
अखिल भारतवर्षीय दि. जैन विद्वपरिषद्
१६ : तोषंकर महावीर और उनको आचार्य-परम्परा