Book Title: Tattvarthvarttikam Part 1
Author(s): Bhattalankardev, Mahendramuni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 369
________________ [२७ तत्त्वार्थवार्तिक ३ औदयिक-औपशमिक-पारिणामिक- मनुष्य उपशान्तमोह और जीव। ४ औदयिकक्षायिक-क्षायोपशमिक- मनुष्य क्षीणकषाय और श्रुतज्ञानी। ५ औदयिक-क्षायिक पारिणामिक- मनुष्य क्षायिकसम्यग्दृष्टि और जीव । ६ औदयिक-क्षायोपशमिकपारिणामिक- मनुष्य मनोयोगी और जीव । ७ औपशमिक-क्षायिक-क्षायोपशमिक- उपशान्तमान क्षायिकसम्यग्दृष्टि और काययोगी। ८ औपशमिक-क्षायिक-पारिणामिकउपशान्तवेद क्षायिकसम्यग्दृष्टि और भव्य । ९ औपशमिक-क्षायोपशमिक-पारिणामिकउपशान्तमान मतिज्ञानी और जीव । १० क्षायिक-क्षायोपशपिक-पारिणामिक-क्षीणमोह पंचेन्द्रिय और भव्य । चतुःसंयोगों-१ औपशमिक-क्षायिक-क्षायोपशमिक-पारिणामिक- उपशान्तलोभ क्षायिकसम्यग्दृष्टि पंचेन्द्रिय और जीव । २ औदयिक-शायिक-क्षायोपशमिक-पारिणामिकमनुष्य क्षीणकषाय मतिज्ञानी और भव्य । ३ औदयिक-औपशमिक क्षायोपशमिक-पारिणामिक- मनुष्य उपशान्तवेद श्रुतज्ञानी और जीव । ४ औदयिक-औपशमिक-क्षायिक-पारिणामिक-मनुष्य उपशान्तराग क्षायिकसम्यग्दृष्टि और जीव । ५ औदयिक-औपशमिक-क्षायिकक्षायोपशमिक-मनुष्य उपशान्तमोह क्षायिकसम्यग्दृष्टि और अवधिज्ञानी। पंचभावसंयोगी-१ औदयिक-औपशमिक-क्षायिक-क्षायोपशमिक-पारिणामिक- मनुष्य उपशान्तमोह क्षायिक सम्यग्दृष्टि पंचेन्द्रिय और जीव । इस तरह २६ प्रकारके सान्निपातिक भाव हैं। ___ ३६ प्रकार-दो औदयिक भाव और औदयिकका औपशमिक आदिसे संयोग करने पर ५ भंग होते हैं-१ औदयिक-औदयिक- मनुष्य और क्रोधी । २ औदयिक-औपशमिकमनुष्य और उपशान्तक्रोध । ३ औदयिक-क्षायिक-मनुष्य और क्षीणकषाय । ४ औदयिकक्षायोपशमिक-क्रोधी और मतिज्ञानी । ५ औदयिक-पारिणामिक-मनुष्य और भव्य । दो औपशमिक और औपशमिकका शेष चारके साथ संयोग करनेपर पांच भंग होते हैं-१ औपशमिक-औपशमिक-उपशमसम्यग्दृष्टि और उपशान्तकषाय । २ औपशमिक औदयिक-उपशान्तकषाय और मनुष्य । ३ औपशमिक-क्षायिक-उपशान्तक्रोध और क्षायिक सम्यग्दष्टि । ४ औपशमिक-क्षायोपशमिक-उपशान्तकषाय और अवधिज्ञानी ५ औपशमिक पारिणामिक-उपशमसम्यग्दृष्टि और जीव । ___दो क्षायिक और क्षायिकका औपशमिक आदिसे मेल करनेपर पांच भंग होते हैं१ क्षायिक-क्षायिक- क्षायिकसम्यग्दृष्टि और क्षीणकषाय । २ क्षायिक-औदयिक-क्षीणकषाय और मनुष्य । ३ क्षायिक-औपशमिक-क्षायिकसम्यग्दृष्टि और उपशान्तवेद । ४ क्षायिकक्षायोपशमिक-क्षीणकषाय और मतिज्ञानी। ५ क्षायिक पारिणामिक-क्षीणमोह और भव्य । दो क्षायोपशमिक और क्षायोपशमिकका शेषके साथ मेल करनेपर पांच भंग होते हैं। क्षायोपशमिक-क्षायोपशमिक- संयत और अवधिज्ञानी। २ क्षायोपशमिक-औदयिकसंयत और मनुष्य । ३ क्षायोपशमिक-औपशमिक- संयत और उपशान्तकषाय । ४ क्षायोपशमिक-शायिक-संयतासंयत और क्षायिकसम्यग्दृष्टि । ५ क्षायोपशमिक-पारिणामिक-अप्रमतसंयत और जीव । दो पारिणामिक और पारिणामिकका शेषके साथ मेल करनेपर पांच भंग होते हैं-१ पारिणामिक-पारिणामिक-जीव और भव्य । २ पारिणामिक-औदयिक-जीव और Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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