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करना हमें उचित नहीं लगता । साधारण खाते को आय को किसी प्रकार के लाग द्वारा बढ़ाया जाना ठीक लगता है। दूसरे गांवों में क्या होता है, इसकी हमें खास जानकारी नहीं हैं। जहां जहां हमने चौमासे किये हैं वहां अधिकांश देवद्रव्य में ही स्वप्नों की आय जमा होती है । कहीं कही स्वप्नों की आय में से अमुक भाग साधारण खाते में ले जाया जाता है । परन्तु ऐसा करने वाले ठीक नहीं करते, ऐसी हमारी मान्यता है । धर्मसाधन में उद्यम करियेगा।
२.: 'प्रवीणविजय के धर्मलाभ'
प. पू. पाद आचार्य देव श्री विजयप्रेमसूरोश्वरजी म. तरफ से शान्ताकु झ मध्ये देवगुरु भक्ति-कारक सुश्रावक जमनादास भाई योग्य धर्मलाभ । आपका पत्र मिला। पढ़कर समाचार जाने । सूरत, भरुच, अहमदाबाद, महेसाणा और पाटन में मेरी जानकारी के अनुसार किसी अपवाद के सिवाय स्वप्न की आय देवद्रव्य में जाती है । बड़ौदा में पहले हंसविजयजी लायब्रेरी में ले जाने का प्रस्ताव किया था परन्तु बाद में उसे बदलकर देवद्रव्य में ले जाने की शुरुआत हुई थी। खम्भात में अमरचन्द शाला में देवद्रव्य में हो जाता है । चाणस्मा में देवद्रव्य में जाता है। भावनगर की निश्चित जानकारी नहीं है।
अहमदाबाद में साधारण खाता के लिए प्रतिघर से प्रतिवर्ष अमुक रकम लेने का रिबाज है जिससे केशर, चन्दन, धोतियां आदि का खर्च हो सकता है । ऐसी योजना अथवा प्रतिवर्ष शक्ति अनुसार पानड़ी की योजना चलाई जाय तो साधारण खाते में
स्वप्नद्रव्य, देवद्रव्य ]