Book Title: Swapnadravya Devdravya Hi Hai
Author(s): Kanakchandrasuri, Basantilal Nalbaya
Publisher: Vishvamangal Prakashan Mandir

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Page 106
________________ किया है, वह उचित नहीं है। ऐसे महापुरुष के नाम से ऐसा खोटा लिखना राधनपुर जैसी धर्म नगरी के श्रावकों के लिए शोभा रूप नहीं है अतः उस भूल को सुधार लेना चाहिए । (१६) सिद्धान्त महोदधि आचार्य श्री विजयप्रेमसूरि म. दशा पोरवाड सोसायटी, अहमदाबाद आसोज व. ११ 1 राधनपुर वालों ने सम्मेलन के ठहराव के रूप में छापे हुए अक्षर मिथ्या है । सम्मेलन ने ऐसा ठहराव किया ही नहीं । इसके विपरीत उपधान माल आदि उपज देवद्रव्य में ले जाने का ठहराया । आदि पर से स्वप्न द्रव्य को देवद्रव्य में लेने की सूचना को है । राधनपुर के अमुक व्यक्ति पू. आत्मारामजी म. सा. के नाम से स्वप्न द्रव्य साधारण में लेने का रिवाज चला रहे है वह भी दंभ है । ( १७ ) पू. आचार्य म. यशोदेवसूरि म.; मालेगाव (महाराष्ट्र ) आसोज वदी ११ सं. १९९० में अहमदाबाद में अखिल भारतीय मुनि सम्मेलन हुआ था । उसमें पट्टक रूप में जो ठहराव हुए हैं उनमें देवद्रव्य सम्बन्धी जो ठहराव हुआ है उससे राधनपुर के हेन्ड बिल का ठहराव विरुद्ध है । इसलिए राधनपुर के हेन्ड बिल प्रकाशित करने वाले रतिलाल प्रेमचंद आदि ने श्रमण - सम्मेलन का पूरी तरह द्रोह किया है, ऐसा में अनुभव करता हूं । ऐसा करके वे घोर पाप के भागी भी बने हैं । 96] [ स्वप्नद्रव्य देवद्रव्य

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