Book Title: Swapnadravya Devdravya Hi Hai
Author(s): Kanakchandrasuri, Basantilal Nalbaya
Publisher: Vishvamangal Prakashan Mandir

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Page 37
________________ (१९) नागपुर सिटी नं. २ इतवारी बाजार जैन श्वे. उपाश्रय ता. ११-८-५४ धर्मसागरगण आदि ठाणा ३ की तरफ से - सुश्रावक देव गुरु-भक्ति कारक शाह अमीलाल रतिलाल वेरावल योग्य । धर्मलाभ पूर्वक लिखना है कि आपका पत्र ता. ९-८-५४ का आज मिला। पढ़कर समाचार ज्ञात हुए । (१) चवदह स्वप्न, पारणा, घोडिया तथा उपधान की माला आदि का घी शास्त्रीय रीति से तथा परम्परा और ज्ञानियों की आज्ञानुसार देवद्रव्य में ले जाया जाता है । इस सम्बन्ध में अहमदाबाद में सं. १९९० के सम्मेलन में समस्त श्वे. मूर्तिपूजक श्रमण संघ ने एकमत से निर्णय लिया है । वह मंगवाकर पढ़ लेना । इस निर्णय का छपा हुआ पट्टक सेठ आनंदजी कल्याणजी पेढ़ी अहमदाबाद से मिल सकेगा । उसमें स्पष्ट है कि प्रभु जिनेश्वर देव के समक्ष या उनके निमित्त देरासर या उसके बाहर भक्ति के निमित्त जो बोली की रकम आवे वह देवद्रव्य गिनी जाय । 1 स्वप्न उदारता तोर्थंकर भगवान का च्वयन कल्याणक हैं । प्रमास पाटण में हमारे गुरुदेव पू. आ. श्री चन्द्रसागरसूरिजी महाराज के हस्त से अंजन शालाका हुई थी । उसमें पांचों कल्याणक की आय देवद्रव्य में ली गई है । तो स्वप्न, पारणा, च्यवन- जन्म महोत्सव को प्रभुभक्ति के निमित्त बोली गई बोली देवद्रव्य ही गिननी चाहिये । इसमें शंका का कोई स्थान नहीं है । तथापि स्वप्न तो भगवान की माता को आते हैं आदि खोटी दलीलें दी जाती है । इस विषय में जो प्रश्न पूछते हो पूछ सकते है | सब का समाधान किया जावेगा । स्वप्नद्रव्य देवद्रव्य ] [ 27

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