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पू. पंन्यासजो म. श्री राजविजयजी म. महेसाणा (पू. आ. म. श्री बि. राजतिलक सू. म.)
आसोज वदी ९ राधनपुर संघ की ओर से प्रकाशित हेन्ड बिल पढ़ा। उन्होंने सर्वथा झूठा लेख लिखकर दूसरे संघों को भ्रम में डालने का बालिश प्रयत्न किया है। सं. १९९० के साधु सम्मेलन में सर्वानुमति से स्वप्नादिक को जो बोली मन्दिर के बाहर प्रभुजी के निमित्त से बोली जाय वह सब देवद्रव्य में जाय, इस प्रकार सब आचार्यों के हस्ताक्षरों से युक्त पटक जाहिर हआ है। स्व. प्नादिक की बोली का सब द्रव्य देवद्रव्य में जाता है यही सत्य है। उसे साधारण में ले जाने का राधनपुर के भाइयों का आग्रह मिथ्या है।
पू. आत्मारामजी म. के नाम से भयंकर झूठा लेख लिखकर दूसरों को उन्मार्ग में ले जाने का भ्रामक प्रयास किया है ।
(१०) पंन्यास निपुणमुनि (महुवा) (पू. आ. म. श्री निपुण तम सूरि म.)
आसोज वदी ९
राजनगर में श्रमण संघ ने जो ठहराव किया है उससे हम सब सहमत हैं।
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[ स्वप्नद्रव्य, देवद्रव्य