Book Title: Suyagadanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami,
Publisher: ZZZ Unknown
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जनिय काम। गमा
थकी
बिंदची लाउँमा अलि अकोत अप्रिय अश्व अमनोज्ञ विशेषध एदवो ऊपनोनेक उरवीङ शाकअनुजबुंदु रेंका
कोपा व शसुरवीनथी गटातयरियाऽयद अणितंपियंप्रमुअमनमखेसुदेवा'कामिवासोमामिal फूकंळु परितापअनुपामाउन विशेषथकीपरिना इएमा अनेराबनी उरवथकी रोगानकथकी उन्हे में काम अनिश्यकी
नबुडा सुकले पनुनवं प्रपकरामिवामिप्यामिवापाडामिबापतितप्यानिवामानायसवानरोगातकानंघडिमोदय प्राणिहाम कंतय अप्रियथकी अनथकी अमनोजथ पीमाकरे नेद एवोऽव नया एलीपरेंप्रार्थः तेन नदी
सुख केतन प्पिया अमुसामान्लान मनमानस्कान लोमुहाएवानबोलयुसवेतिहखलुका लोग तेउवायाने नेहरबीयाने वारणान पुरुष प्रतापरेलामाकामनेोग हनी होउपर जराजाका अथवाराजादिकने उपवेधन वापानही लीन: विने कामनीगर्ने इत्यादि
नंगला निकामनोगने विषयानिलाषीम को मसोगामाताणाबालासरणारावारिसेवाएगताविकामलोगेविषमतिकामनोगवाएगताधिपुरिसा मष एकारणेपेकिनपुरूषएाडेअवधारे एकामजीगमुझय जोमतोमामावलीम अनिसकामनागमोहिमूद एउजाली
र काराबनिनिय अनेऊपिलरहथकामनरो एतत्रनिकामनोगमा र कानकरीय वमनहतिअन्लेखलुकामनोगासन्नोनमसि सेकिमाथुणवयनमन्नेहिं कामोहिमुखामोतिसरखा कोइएकमहायुवषयम्पयजालीयो कामलीगढीम मेधावीपेटि मनोल एसर्वबाल मागलिकहीमला उपमान नाथा मानामा विना सुजमवायनालाई नेमहानवजोगवा बलरने त पुरुषले
रघणायामका ने कहा हमारी वेश, पिन उसनकरणका एणवयनकामसोगविण्याहस्सामिाश्समदाबाजामद्या
माईमा बहिनमा कार्यामा युबमा दीको दागमा भित्रमा वक्षमा एसवमा वजन मंन्तक स्वमुरऊ एममा रानात हरो 'हरीश रो माह हरा
50 हश लादिक समाहराताप्ने नायाhaniमेना मेथुन्नामेभूतामपिसााममेशामिमहामे मुहीमाणसगंधसंधुयानेएखममा

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