Book Title: Suyagadanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 87
________________ तगृहपतिना राजा अथवा राजरुषपरें खलने वली रहने प्रस्तावदेषी एहने हुए एविनवतां तेपुरुष किम विदा मनचीन बनी पुत्र अपरें घरेंस पु 守 रात्रि जागत पर सव साडाग, बतिपुत्रमना रनोवाराम बुरिससबाखशनिहाप विभिस्मामि' खोल हून हिस्सा मिहार मारण सकिन वधक होई तेरुपनिनजं अथवा पनि नापुत्रनो राजा अथवा राजपुरुषमदिवस अवसर जहाँ एहने घर प्रस्तावदेषी मदन स्मगाहा वस्वोगादावतिपुत्रस्वा रणोदा रायपुरिसम्म दा स्वर्णनिद्दाऍप विसिस्सा मिं स्वरोज चूर्णव रहने प्रहार देतुं दिवस अथवा रुतांथ अथवा जागांमजूत मिध्या निसहीशा व्यतिपात का नि यातनेहनेविषई बैं हिस्सामिप दारे मारा' दियारा नवा मुवा जागर मालवा अमित मिश्रा से हिते निचेपसदेविन वाय चिनद | जेहन उते तेहनोबिलासा करतो पि बधक हि बाई किंवान कहिवाई श्म कहे छत निमतेवयक रुप ति कारले दंग शिष्पसम बोलई सगवान ने कहवाई निवारें चाय बोज्या महशिष् निवेति एवं वियागार माणस मियाए दिया गरे बोयर है तानवतिमा वार्याह 'ज हासिव दर्शनम्मं गाहा व तिस्स नेट पतिना पुनें राजा अथवा राजपुरुषऊ विलासवानो ऊपायचीतवन अवसरजहा एनईवस्तुं प्रहारदे सम्पु थका गावतिपुत्रस्यारन्नों वाराय रिमेम्स खनिद्वारोप विसिस्माभिरेवल व हिस्सा मित्र महारे मारा दिवसें अथवा सूनां अथवा जागनाथ श्रम मिथ्या संचित निसहाय प्राराघात चितळें नेह देते बाउछ दिलीप ज्ञानी दिया वारान बासुलिंबा जागरमा वा ममित्र भूमिला में शितनियस' विजेवाय चिरोडोड एवामे व बालेि अव प्रास जावन सर्वसत्व दिवस रात्र ती अथवा जागती अमित मिथ्या संस्कृत निलही शव साबसिंपाएं जावसचे सिसज्ञा दिया वारा वा सुत्ने वा 'जाग'मा 'बा' अमित्रनूर मिठासं दिए निर्देय सददि २४ प्रालघात तेहविषे प्राणातिपान जावत् मिथ्यावदनि एमनिश्चई नगर्वतें कहि विरती महिन यिन ले ने वेदम दात विदा तैयारण निबाएजाद मित्रावंसखसान एवं खलु न गवताच्रकार असेनपहियपचरका अविश धध पानी नें विषै

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