Book Title: Suyagadanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami,
Publisher: ZZZ Unknown
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का
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श्रामापकांनंबाळपालिका
श्रात्माएकोमूतपलिकई त्रामा भए विमा कर मन वयनकायासहित थिए सूगडागजा आयांएगबालयाविनवतियांएगतमुनियाविनवति मायाप्रवियारमणक्यकायबके याविनव
आत्माप्रतिको विरवर तथानही पञ्चपापापकर्मजगई, वो नि माबजगवना कहिउ अयंजन अविरत अप्रनिहन
करीनाथाय वर एहदोपिलरू. नि-मायामपडियनपचस्कायमावकम्याविनविएसंखनगवता सरकार अंसनातमविशनप्रवाह प्रसारमातपापकर्म सकिय अयंत एकातें देश एकनबाल एकांतमतलवाल अविचार मन वचन कायन पपचरकालपावकाम्ममकिरिए असंवुडेगंतदंडगंतबालगंतमान सबालअवियारमणवणकाम पापकर्मचुनानपिण तेहने नेहवोजकांबंधपापका निष्पापक कहिवारकपन, जगवनमषिपापकर्मविष प्रव देषन हारगऊपर बरन कहिथ कामयोजिउ
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३ मननिमनई कासवनिएपावेकम्मेकातिहणतस्ससमणरक स्मसेवियार मणवयकायवकेस्समुमिणमविषसएबंगुणना

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