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________________ का -5 श्रामापकांनंबाळपालिका श्रात्माएकोमूतपलिकई त्रामा भए विमा कर मन वयनकायासहित थिए सूगडागजा आयांएगबालयाविनवतियांएगतमुनियाविनवति मायाप्रवियारमणक्यकायबके याविनव आत्माप्रतिको विरवर तथानही पञ्चपापापकर्मजगई, वो नि माबजगवना कहिउ अयंजन अविरत अप्रनिहन करीनाथाय वर एहदोपिलरू. नि-मायामपडियनपचस्कायमावकम्याविनविएसंखनगवता सरकार अंसनातमविशनप्रवाह प्रसारमातपापकर्म सकिय अयंत एकातें देश एकनबाल एकांतमतलवाल अविचार मन वचन कायन पपचरकालपावकाम्ममकिरिए असंवुडेगंतदंडगंतबालगंतमान सबालअवियारमणवणकाम पापकर्मचुनानपिण तेहने नेहवोजकांबंधपापका निष्पापक कहिवारकपन, जगवनमषिपापकर्मविष प्रव देषन हारगऊपर बरन कहिथ कामयोजिउ अप्रव वकसविविपस्सशिपावेयासकम्मेकातिनचोयएपन्नगेगवेवयामिप्रसanimaraom चनपण अपवा इतई कायाकसनजीवनपहना मुमणकस्सक नेहमप अविचारमनवचनकायकवा व मनप्रामरहिन रु संतियारवतीएपावियाएमसीएणकाएणपावए महतस्सनमारकस्सअवियारमयसकामवक कार्यकारण नेपाप नहजनोदकमनित्राय नरें कोइएका मनप्रसूयि कपणायकीपा कपकमजुत्रीत रेपिसनष लागे नहीं। कमलाग मग पायकर्मनाकारलक तिपातादिकप्रक्वो समविmaअपस्मनपावकामनाकछातिकमणताहवायएएवंबवातिमन्नयरेणंमणगोपाराम एन रप जलायनही क मननिमिपापकर्मकरें, नेर बजी पापकमकरै वववनें .. अनेर वली कायाई पाप malaपाकाम्मकछाति अन्नसरीएवतापाविमाएतिवनिएपाविकाम्मकातिअन्नसरेणकापावणे कम्बाईनथाजीवापानी मम०हिया ऊपरे परिणामयहिन यविचार मन वचन काया जेम्नान एक्स ३ मननिमनई कासवनिएपावेकम्मेकातिहणतस्ससमणरक स्मसेवियार मणवयकायवकेस्समुमिणमविषसएबंगुणना
SR No.650004
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1877
Total Pages154
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size69 MB
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