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________________ नानाप्रकार बसवावर मालीयानो स्त्रेप्राशरखं तेजीवआहार की पृथवीना के तत्त्राएं विउ हेतिति जीवाति सिंनाहि तसघावरा पाए सहमा हारिभितिजीवाप्राहारनिपु नारीर जायपो नानी का अपराने तेथावर जोनि पृथवीना जाव सूर्यकांत नांशरीर नागावलई इमकं नो यासारि बोकरें पलि सरीरं जावसने प्रवार विगत सिंत सघावर जोगिया बुढबी गंाव सूरके ताएँ सरी रानागाव नांजावरका अं शेषा कतात्रिमाला निमउदकनाति अनेरानक एजगमा सर्वतू सर्वजीव सर्वसत्य नानाविधजोनिक मजा एण्वा नीर्थकरें कहिजे सर्व प्राल ना हिव सर्वजीव वा श्री कहिले सातिन्ति प्राला वगान हा उदगाएं अहा वरंपुर रकामं सच्चे पारणांस चे नूतां सच्चे जीवांस चेस तानाशाविह जोलिया नानाविधयोनिने नानाविधरला शरीर जो निक शरीर नें विषे शरीरनेंविषई वारीरनेंविषे कर्म वर्य कम्मवश्पगत विषई ऊपजई मारकर लाई रा उदेश्म जाए नाणाविदसं नवा' नाणविद बुक मासरी रजोलियां सरीर संज बासरीर बुक मांसरीद्वारा कम्मानमा कम्म निदाएण क जीव एशेजवेज कर्म्मगतई कम्र्मनी स्थिति र कार जीवकर्म उपमई गुरुशिष्यप्रतिक ने एबोजा लीनई आहारने विषे उप्तथाप ताता हारना करे कम्म विश्याक मारण वेदविष्यरियासमावति सवैमा या दास एवं माया एसो आदार गुम हिल्स ग्रामजित विधा - नथानथाई पांच सुमनसुमनो सदाय बीजाश्रुत स्कंन जे आहार परिज्ञाना माध्मयनत्रतीयं हि वोधीत्यभयानक्रिया सीत त्रविवरै त्रिदेमि नामें मध्पयन प्रारंभीये श्रीमय आहार मा श्री कर्म बंधक ने कम बंध अखा' म मिएस दाजएत्तिबमिनीय सुखेधाच्या हारपरिन्नानामत्रतीयमध्यमनं॥ आणा सुसीमा सात विधिमध्य सगर्व नई एम क एप्रवचनें खजुनिवई प्रत्याख्यान क्रियाना मा अध्ययन तेहनो एपर्थमागले मात्याजीव मिथ्यात्व वि कहाँमई ते रयोग कषाय थकीतावे भगवनया एवं मरका इन्हेंरवलुपचरकाए कि रियानामः प्रशखाण' त समयमा पस आयाममचरकीणीया अमरावजी त्या क्रियाकला मात्मा मिथ्या वांछित पिएको नीलेई | प्रोंटजै तेकार मात्मा एकांतें या नोदंन नोकर हारविल कई रहिन होई पविमवनिमायाकि रियाकसालयांविसवति माया मिठासं विश्या विजवति' प्रामाएगेत दोडयांविजयति वजी नेजमा को कलाकार होई सूर्यकांतप लें ऊपन तेजीवति हो ऊपजती 23
SR No.650004
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1877
Total Pages154
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size69 MB
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