Book Title: Suyagadanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 114
________________ वावरसदिनलगायअश्मिाजीकायका सहरह पापोली जाध हवेव परीजाजीजीदनोवरलागे परियोरजीवनेपघानेवालाजीरनीरक्षक तापमे मोटाएकीविद यलोजीदनकामनारायाचम्हप साविशेषमामशरोगसपारगकंतानेटलो . वरसादिव ता नकी दीयमाकायजीवनोमास एनीतामाकुमारकहर.५२ मावशीजावेपरसा कनेकरलेपाकासिता यध्याए वासयविaqकप्पयामीसवटारियणमेगपाशंकतालियततेसास मानिसमानादिदिसीमाभिमनिममताले धानाजीसोबरहीरामाकारनागदेवताकरजाताधसमे मिका नियोषमापनेवर भनएकनारमनिरक्षेकनिविपातीका दिकजीवनोपनकामयादिएकदामोटोजानव महितकरीमन्मनायअपना पातआवाणीनिरपोषगवाजेश्मनिरपेक्ऊमीनजीवसंसारमा कलिरसीतसमापनमणरुतभिीरपति राजीवकामेवातिमात्रमनन्तना जादपरनदेनविरुवाहोय उमारासमोगजादहएताबल|| सागजीवावदलाय जियायथावं निवपातनावहेसरीबागर से प्रस्तालाप पा०प्राणाजाहलेसम्ममल मा०मापाने मनानेस्वासुस्म मालाबावलीआर सोतारापनि नातवेषवनिमोक्तान नकाराममनाय पिलानजनकर, 7-ऊमारकह) संवत्सरेर सिविलेपमनपहिसैतने पुष्प उनानाराजानी माछमार्गनायव सषः वा कमानामानित जोदिताप३ संरकरणदियएगीगं पाएगवतासमाणिवतरू आयातितिपुरिस कासवामामानिाहि.बाजाणीवर्किपजिलाकारविवारसारएकेकजीवचिणते मापनकरोत्यातककम तस्वनागरचोचीमच। नेरुनेमांसस्यरसहिवसनगरानिमादिममपातारासजीवावजेवतात मायरामतामाश्यामसाविरनेना- मामाकान विराभलादणामेतियाकारणाबरणजीवापासतालको अघामाजीव वीरनेसमी सरणजेचातायक एस०समाधानाला समारला कारणामिप्यारावाने लोक्वन आहे रनादाजमान्लेनमारामक पानहाइमन Su एजे नतारिसेकेवलियाजवंति पछ बुरिसाएगए सगामाद आसस

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