Book Title: Suyagadanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami,
Publisher: ZZZ Unknown
View full book text
________________
१०
भनेका
पिशेमा अथवाom एरवाप्रकार नोजलें ऊपजीनाई.
-एकके एक पुरुषमहापुरुषमदायत्ववंत विषयक अमन
बायजापान निकाचरीनविऊनामावानथवा पकमला सराडागजी तिअय्यमरोवामुद्ययरोवातहप्यारहिंकलेहिं मारामअसिस्टा एमिरकाटारियाएसमुहितासतौबा
सत्ववेतनाविद्यमानजातिचजनादि नानाप्रकारलाही नावाचीनविषयावधान नथाएक अपना वजनकान्पादिपारण टीमीनई कनथाउपगबनधान्यहिरपादिन
तया | विणायनयनवकरच विपनदाय लिरकायश्मिाएसमुहिना असाताववियोनाय नयनवगविम्य
निरमा चरा चारित्राया थया हिवनंतने अथवा अपळत स्वजन अनादिक उपकरण ळांकन सिकाचरीने नहाय निकायरियाएसमुहिता नेमतोबा असतोवा मायनयानासनयनवकरच विपजहानिरकाया विषनावधानल्या नेपरिचारित्रलेवानीवेलाईनेहयु जारषु तद्यथा एज निश्च पुरुषहम अनेशरवस्तु माहराउफ्लोगनाऊमे समा ने कहै रिसाएसमुहिनाबुधमिवतिहिमायनवतितजदा दखलपशिसमनहाएवियतिवेदेति जहाला इनमा घरमा हिरएक मोबमा भनमार काममा व्यवस्व निम्नीयां धन ॐ कनक रन मलि मोनी
रो.. . माह बलम खत्रीमहामहिरनामसुबन्नामधाम के सामसोमविलवणाकणाराणामणिमानिय संखसिलपका
रत्रमार प्रथा सावक धनए पर्वमाहरोएता नथाशय रूपस्वी गंधकरश समथुरा कश्मिक एवख माहरू काम जोगर अने पिणएहना नवना माहरा उपनगला ऊस शादिक यादिक दिक दिकवादिक उनि
इसुजोली जरनारयणसंसारसावनेयामसहामरुवामगंधामरसामिफासमातेस्खलुममकामनोगाप्रमविएते ते मेधावी सर्व ९६वउपनियापहवउजाइकलय निश्माहरें भने कोइएक मनकपीमादिकरोगानं कमसामो अनि
के मारमा
रो उख गालादिक उपनै ने केवउरोगनेका धन सिसामहाबीबामवझायणासमनिजाण्यात खलुमम अन्नटार खेरीटाताकसमुप्याद्ययात्रा अकोन अप्रिय अनुन बमनीज विशेषथकापामा उवा नयानि 5षअपनेय होतयणकाराषणहार माहरें जमनेऽष नोगाने
करणार पुरख कामन को कामनोग हेमकंते अपिलसमुन्नमामरिकामामुदासदेतानोतारोकामनोगाईमममन्नतरंडके
कि
जीव
गवान

Page Navigation
1 ... 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154