Book Title: Suyagadanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 24
________________ PoemDms4. सारखीमपरियही एक्वानीनेणाई ब्रह्मवयंप्रोपावरस्पतावतानिरा जोवला नानाविनिमयदळनेसारनसपरियरुपयोपहिलोटो जनिःपरियहथकाचम्ममिरचतदेह नाmaa नरबू तो ते कास्पाजणी तिमपपिपई निमपटेब्रज्याने कात्मि नयपरियहनान वालवालवानिमा दिने कामाला उरले पहिलो नेरहस्लनेनापिलाएकारले निराश्नमा रिलाये। भारतकापमानामपरियनिस्साएनसरबाससिस्मामाकरसातहजहापुचतहाप्रबरजहावरतहाभुधाRADDA मारजनोग्राश्रय सुप्रत्यर्थ एतातम्पर यहळा अनुपर कारलेमारंज मपरियहरथाजे के चारित्रले वतुति र सारेजी अपरियही एकेक श्रम बाभूए रूपारेल सपरियह दयानद्यानुनथ ननिवासुनि सावधानष्टानेप्रबन्न आधा कादिया९राई निव पिलवसकृदा निभदे शत-प्रणवरयानवाहियायुरवितारिसगावेवसेखलुगारवासारनासपरियहा सातगलियासमणमा भारंजी अपरियही इलि कार बिकंप्रकारे पापकरै मिठ जोगीन आरंपरियनें अपमानबत जिकवारिची यो निरवानी वि रनो जालहरमेयमानुष्ठान वह हणविमानासपश्यिहादतोपाबाजनितिसंस्काएदाहिविनिहिंदिस्ममारणानिनिस्कूटा। तमंथनीने दिदिशि जाव पूर्व से०ज्ञपरिज्ञाई मते प्रत्यारयानपरिमाई एमते कर्मना मननोकरण यिनीर्थकरें कीव निदांनिश्च जनदियकीनाआमा वा जाती व बैंक के निशान निःपई 1 पञ्चवीन कर मारनेोपियन करें कायकमानतो बबणक निकायक रियामयभनेवि नवसाममियादीबाजावएवेसेपरिन्नासकंमेएवेसेवियवेकामएवंसेवियतकरएनमिखायेखन बैंप्रमानथर नगर्व ने जानकायनेने पावती निमऽषनेक स्थवीकय जावद डीय यथारष्टं नामनि अपने निमदृष्टीनेकश देक अभिनर में क हीर र बा काय नैन संजावना में वारकरी गवतामधीवनिकायपलनातनहा विकार जावसकाए सैजहानामएममअस्सायेदेडेणवा अहीण उष्टीने का पापातक पालक आउ• आकोशकर तीथका ६०९दए तीथका नना करनाथको तामनाकर नाथको वामुहीवालेलुणवाकवालेएवामानडियामाणस्सवादममाणस्सवातविद्यामाणसवातास्धिामाणसंवा परिनापनाकर तो थक किलामनाकर ताणको उद्देगकरनीथक जावन एक रोम उपेमवामात्रपिण एहनोपण ऽरव जय ॐनेवः | शक्ष बेद परियाविधामाणसवा किलिप्रमाणस्म वा अविद्यमाणसवा जावलोमुस्कणमातमविहिंसाकारगंधरक

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