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अनुक्रमणिका क्रम विषय पृष्ठ नं. क्रम विषय पृष्ठ नं. १. भूमिका
१-२० * ‘स भवतु...शांतिनाथ' * चैत्यवंदन क्या है ? २ का विशेषार्थ * चैत्यवंदन धर्म के अधिकारी ३. जगचिंतामणि सूत्र ३०-५२ कौन ?
__* सूत्र परिचय * चैत्यवंदना के सूत्र को पढ़ने । * मूल सूत्र का अधिकारी कौन ? ८
* अन्वय सहित संस्कृत * बहुमान भाव के पाँच लक्षण ११
___ छाया और शब्दार्थ विधिपरायण के पाँच लक्षण १२
* 'इच्छाकारेण... करूं' * उचित प्रवृत्ति करनेवाले
____ का विशेषार्थ के पाँच लक्षण
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* 'जगचिंतामणि' का * चैत्यवंदन के लिए योग्य चित्त १५ |
विशेषार्थ * चैत्यवंदन के सूत्रों को किस
* 'जग-नाह' का प्रकार से बोलें
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विशेषार्थ * चैत्यवंदन के सूत्रों को पढ़ने
* 'जग-गुरु' का की विधि
विशेषार्थ २. सकलकुशलवल्लि २१
* 'जग-रक्ख ण' का * सूत्र परिचय
विशेषार्थ * मूल सूत्र
२२ * अन्वय सहित शब्दार्थ २२
* रक्षण के तीन प्रकार * 'सकलकुशलवल्लि...मेघो'
* 'जग-बंधव' का का विशेषार्थ र
विशेषार्थ * 'दुरिततिमिरभानु'
* 'जग-सत्थवाह' का का विशेषार्थ
विशेषार्थ * 'कल्पवृक्षोपमान' । * 'जगभाव-विअक्खण' का विशेषार्थ .
का विशेषार्थ * 'भवजलनिधिपोत' का * 'अठ्ठावय-संठविअरूव' विशेषार्थ..
___ का विशेषार्थ * 'सर्वसंपत्ति हेतु' का
* 'कम्मठ्ठ-विणासण' का विशेषार्थ
२७ विशेषार्थ