SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 15
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 14 अनुक्रमणिका क्रम विषय पृष्ठ नं. क्रम विषय पृष्ठ नं. १. भूमिका १-२० * ‘स भवतु...शांतिनाथ' * चैत्यवंदन क्या है ? २ का विशेषार्थ * चैत्यवंदन धर्म के अधिकारी ३. जगचिंतामणि सूत्र ३०-५२ कौन ? __* सूत्र परिचय * चैत्यवंदना के सूत्र को पढ़ने । * मूल सूत्र का अधिकारी कौन ? ८ * अन्वय सहित संस्कृत * बहुमान भाव के पाँच लक्षण ११ ___ छाया और शब्दार्थ विधिपरायण के पाँच लक्षण १२ * 'इच्छाकारेण... करूं' * उचित प्रवृत्ति करनेवाले ____ का विशेषार्थ के पाँच लक्षण १४ * 'जगचिंतामणि' का * चैत्यवंदन के लिए योग्य चित्त १५ | विशेषार्थ * चैत्यवंदन के सूत्रों को किस * 'जग-नाह' का प्रकार से बोलें १६ विशेषार्थ * चैत्यवंदन के सूत्रों को पढ़ने * 'जग-गुरु' का की विधि विशेषार्थ २. सकलकुशलवल्लि २१ * 'जग-रक्ख ण' का * सूत्र परिचय विशेषार्थ * मूल सूत्र २२ * अन्वय सहित शब्दार्थ २२ * रक्षण के तीन प्रकार * 'सकलकुशलवल्लि...मेघो' * 'जग-बंधव' का का विशेषार्थ र विशेषार्थ * 'दुरिततिमिरभानु' * 'जग-सत्थवाह' का का विशेषार्थ विशेषार्थ * 'कल्पवृक्षोपमान' । * 'जगभाव-विअक्खण' का विशेषार्थ . का विशेषार्थ * 'भवजलनिधिपोत' का * 'अठ्ठावय-संठविअरूव' विशेषार्थ.. ___ का विशेषार्थ * 'सर्वसंपत्ति हेतु' का * 'कम्मठ्ठ-विणासण' का विशेषार्थ २७ विशेषार्थ
SR No.006125
Book TitleSutra Samvedana Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2012
Total Pages362
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy