SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हिन्दी भावानुवाद करना आवश्यक है। मैंने उन्हें बताया कि मुझे हिन्दी का अनुभव नहीं है, तो उन्होंने तुरंत विनती की कि, मुझे इस पुस्तक का भावानुवाद करने का लाभ दीजिए। इससे अनेक साधकों के लिए साधना मार्ग सरल बनेगा, यह सोचकर मैंने उनकी बिनती को सहर्ष स्वीकार किया। __ थोड़े ही समय बाद एक दुर्भाग्यपूर्ण दिन उनके गुरुवर्या सा.श्री हेमप्रभाश्रीजी के साथ उनका भी एक दुर्घटना में यकायक कालधर्म हो गया। पर मानो कि उनकी परोक्ष मदद न हो वैसे डॉ. श्री ज्ञानचंद जैन ने अनुवाद का कार्य हाथ पर लिया। आज डॉ. श्री ज्ञानचंद जैन, डॉ. श्रीमती शिल्पा शाह, डॉ. श्री दीनानाथ शर्मा एवं अनेक जिज्ञासु साध्वीजी भगवंतों के योगदान से सूत्र संवेदना भाग १ से ६ हिन्दी में भी प्रकाशित हो रहे हैं। वाचक वर्ग इस पुस्तक द्वारा अपनी धर्म क्रिया को भावक्रिया बनाने में सफल बने ऐसी शुभाभिलाषा व्यक्त करती हूँ । 'सूत्र संवेदना' की संवेदना के मूलरूप दीक्षायुग प्रवर्तक परम पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजा के दीक्षा शताब्दी वर्ष में यह प्रकाशन होने जा रहा है, यह भी आनन्द प्रद है । लि. सा. प्रशमिताश्री वि.सं. २०६८ भादरवा सुद-१४ अहमदावाद
SR No.006125
Book TitleSutra Samvedana Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2012
Total Pages362
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy