Book Title: Sukhi Hone ka Upay Part 1
Author(s): Nemichand Patni
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 18
________________ १६] [ सुखी होने का उपाय प्रयास करने पर भी इच्छानुसार सामग्री प्राप्त क्यों नहीं होती? अनादि से प्रत्येक जीव अनेकानेक प्रयास करता आ रहा है कि उसको इच्छित वस्तु प्राप्त हो जावे । लेकिन उनमें से किसी जीव को सफलता मिलती और किसी को नहीं मिलती है। इसका कारण क्या? यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है। समाधान :- थोड़ा गम्भीरता से विचार करना चाहिए कि यह जीव कभी नया तो पैदा होता नहीं? जब यहाँ पर पैदा हुआ है तो पहले कहीं था, वहाँ से मरकर यहाँ पैदा हुआ है और जो यहाँ से मरता है वह अन्य कहीं भी जाकर निश्चित रुप से उत्पन्न होगा यह तो निश्चित है। इसप्रकर यह तो प्रतीति में आता है कि जीव अनादि का है और अनन्त काल तक कहीं भी रहे-कायम रहेगा; यह विश्वास में आता है। जैसे कोई व्यक्ति किसी मित्र से मिलने के लिये अपना घर छोड़कर उस मित्र के घर गया हो और अपना कार्य समाप्त कर वह वहाँ से वापिस रवाना होगया हो, उसके बाद उस व्यक्ति को खोजने के लिए उस व्यक्ति का पुत्र उस मित्र के घर आवे और उससे पूछे कि मेरे पिताजी कहाँ हैं ? तो सहज ही उसका मित्र यह ही जवाब देगा कि वे तो यहाँ से चले गये। ऐसा उत्तर सुनते ही वह पुत्र समझ गया कि वे इस स्थान पर नहीं हैं, लेकिन अन्य किसी स्थान पर हैं जरूर । उसको ऐसा भ्रम नहीं होता कि वे जगत में कहीं भी नहीं होंगे। ठीक इसीप्रकार जब किसी जीव का मरण होता है अर्थात् इस देह को जीव छोड़ देता है तब सब कोई यही तो बोलते हैं और मानते हैं कि इस शरीर में से जीव निकल गया, लेकिन उसका अस्तित्व का अभाव नहीं हो गया, इस शरीर में नहीं, लेकिन अन्य कहीं भी उसका अस्तित्व है जरूर । __ अन्य प्रकार से भी विचार करें और यह मानने लगें कि मरण के बाद जीव कहीं भी अन्य जगह उत्पन्न नहीं होता और अस्तित्व ही खत्म हो जाता है? तो जब यह पैदा हो गया तब जीव कहाँ से आ जावेगा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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