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२स्थानका
श्रीस्थानाङ्गसूत्र सानुवाद ॥१४६॥
उद्देशः ३ अपवर्णनम् ९१-९२९३ सूत्राणि
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नामना चे वक्षस्कार पर्वतो छ. ते पछी विजय आवे छे, ते पछी अंतरनदी छे. ते पछी आवेल विजयने छेडे बे पद्मकूट पर्वतो छ. तेवी ज रीते विजय अन अंतरनदी पछी आवेल विजयना अंतमां वे नलिनकूटपर्वत छ, एम ज अंतरित वळी एकशैल नामना वे पर्वतो छ. बळी पूर्वना वनमुखनी वेदिका अने विजयथी पहेला (पश्चिममा ) सीता नदीना दक्षिण किनारा पर रहेल तेम ज (पूर्वनी माफक) त्रिकूट, वैश्रमण, अंजन अने मातंजन आ चार नामना बब्बे पर्वतो छे. त्यारपछी देवकुरुक्षेत्री पूर्व दिशामा रहेल सौमनस नामना बे गजदंत पर्वतो छेत्यारपछी गजदंतना ज आकारवाळा देवकुरुथी पश्चिमदिशामां बे विद्युतप्रभ पर्वतो छ. त्यारपछी भद्रशाल वन, तेनी वेदिका अने विजयथी आगळ तेवी ज रीते अंकापाती, पद्मापाती, आशीविष अने सुखावह नामना बब्बे पर्वतो सीतोदा नदीना दक्षिण किनाराए रहल छे. वळी बीजा पर्वतो-पश्चिमने सामे वनमुखपाळी वेदिका अने विजयथी पूर्व दिशाए क्रमश: चंद्र, सूर, नाग अने देव ए नामवाळा बब्बे पर्वतो छे. त्यारपछी उत्तरकुरुक्षेत्रना पश्चिम भागमा रहेल गंधमादन नामना बे गजदंत पर्वतो छ. आ पर्वतो धातकीखंडद्वीपना पूर्वाद्ध अने पश्चिमार्द्धमा होय छे माटे बब्बे कया छे. वे इषुकार पर्वतो दक्षिण अने उत्तर दिशामा रहेल छे. ते धातकीखंडना वे विभाग करनारा छे. (३). 'दो चुल्लहिमवंतकूडा इत्यादि हिमवान वगेरे छ वर्षधर पर्वतो छ, तेमां बच्चे कूटो, जंबूद्वीपना प्रकरणमा जे कहेल छे ते पर्वतोना बमणापणाथी एक एक नामवाळा बब्बे होय छे. वर्षधर पर्वतोना द्विगुणपणाथी पद्मादि द्रहो पण बमणा छे. ते द्रहमा वसनारी देवीओ पण बमणी छे. गंगादि चौद महानदीओर्नु पूर्व अने पश्चिमार्द्धनी अपेक्षाए द्विगुणपणुं होबाथी ते गंगादि नदीओना प्रपातद्रहो ( कुंडो) पण बब्बे होय छे. ए हेतुथी कहे
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