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श्रीस्थानाङ्गमत्र सानुवाद
स. २२१. तिविहे मरणे पं० २०-बालमरणे पंडियमरणे बालपडियमरणे १, बालमरणे तिविहे पं० तं०-ठितलेसे संकिलिट्रलेसे पज्जवजातलेसे २. पंडियमरणे तिबिहे पं० त०-ठितलेसे असंकिलिट्रलेसे पज्जवजातलेसे ३. वाल.पंडित्मरणे तिविधे पं० तं०-ठितलेस्से असंकिलिट्रलेसे अपज्जवजातलेसे ४ । सू० २२२
मूलार्थ:-त्रण लेझ्याओ दुर्गधवाळी छे, ते आ प्रमाणे-कृष्ण, नील अने कापोत १, त्रण लेश्याओ सुगंधवाळी कहेली छे, ते आ प्रमाणे-तेजोलेश्या, पद्मलेश्या अने शुक्ल लेश्या २, एवी रीते पहेली त्रण लेश्याओ दुर्गतिमा लई जनारी छे ३, पाउली ऋण लेश्याओ सुगतिमा लई जनारी छे ४, पहेली त्रण लेश्याओ संक्लिष्ट-अशुभ अध्यवसायना हेतुभूत छे ५, हेल्ली ऋण लेश्याओ संक्लिष्ट-शुभ अध्यवसायना हेतुभूत छे ६, पहेली त्रण लेश्याओ अमनोज्ञ-माठा रसवाळी छ ७, छेल्ली त्रण लेश्याओ मनोज्ञ-सारा रसवाळी छे ८, पहेली ऋण लेश्याओ अविशुद्ध-खराब वर्णवाळी छे ९, छेल्ली त्रण लेश्याओ सारा वर्णवाळी छे १०, पहेली त्रण लेश्याओ अप्रशस्त-अकल्याण करनारी छ ११, छेल्ली ऋण लेश्याओ प्रशस्त-कल्याण करनारी छे १२, पहली त्रण लेश्याओ शीत अने रुक्ष स्पर्शवाळी छ १३, छेल्ली त्रण लेश्याओ उष्ण अने स्निग्ध स्पर्शवाळी छे १४. (द्रव्य लेश्या पुद्गलमय होय छे.) (सू० २२१)त्रण प्रकारे मरण कहेल छे, ते आ प्रमाणे-अज्ञानी-अविरतिर्नु मरण ते बालमरण, ज्ञान युक्त संयत-साधुनुं मरण ते पंडितमरण अने देशविरतिनुं मरण ते बालपंडितमरण १, बालमरण त्रण प्रकारे
३ स्थानकाध्ययने उद्देशः४ लेश्यामरणवर्णनम्
२२१२२२ सूत्रे
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