Book Title: Sthanang Sutram Sanuvadasya
Author(s): Sudharmaswami, Abhaydevsuri
Publisher: Abhaydevsuri

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Page 373
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandir www.kobatirth.org २ ६ २ ३ यावत् ऐवत | १५७ क्षेत्रने विषे बे महा- १५१ नदीओ कहेल छे, | १५४ ते बहु समतुल्य ६ १३ ९ १ दूषमदूषमा सुषमदूषमा २ ५ हेवबयेरनवए हेमवयेरन्नबए १३५ १६ तंति तवंति १६१ विरहंति विहरंति १४२ २ ५ रत्नमजालकटक- रत्नमयनाल कटक १६२ १ बडे १६२ २ २ लबखाइ लक्खाइ १६५१ उक्त १६६ १ वृक्षस्कार वक्षस्कार | १६९ चूलिका उपर चूलिकानो पडखे महाशकेंद्र महाशुकेंद्र कहे छेमंडळ मर्डब जनाने जनाने लिगथी लिंगथी सर्वात्मप्रदेशोनु सर्वात्मप्रदेशो (असंख्य) (संख्याता) बब्बे करीने खंडने खंड कल्पीने यदृच्छोपललब्धि यदृच्छोपलब्धि समासात समासांत करता KXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX) ७ कल्पीने २ ३ ८ ५ युक्त १ ३ करतो For Private and Personal Use Only

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