Book Title: Sthanang Sutram Sanuvadasya
Author(s): Sudharmaswami, Abhaydevsuri
Publisher: Abhaydevsuri

View full book text
Previous | Next

Page 342
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रीस्थाजान सूत्र सानुवाद # ३१५ ।। www.kobatirth.org तेनी उपर पांच ज अनुत्तर विमानो छे. आ विमानो भवन अने नगरोना उपलक्षणरूप छे. वैक्रिय करवाना लक्षणवाळी ऋद्धि वैक्रिय ऋद्धि, वैक्रिय शरीशेवडे ज वे जंबूद्वीपने अथवा असंख्यात समुद्रोने पूरे छे-भरे छे [आ शक्तिरूप समजवुं ]. श्रीभगवती सूत्रमां कहां छे के "चमरे णं भंते! के महिड्डिए जाव केवतियं चणं पभू विउब्वित्तए ? गोयमा ! चमरे णं जाव पभ्रूणं केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं बहूहिं असुरकुमारेहिं देवेहि य देवीहि य आइन्नं जाव करेत्तए, अदुत्तरं चणं गोयमा ! पभू चमरे जाव तिरियमसंखेज्जे दीवसमुद्दे बहहिं असुरकुमारेहिं आइने जाव करि तए, एस णं गोयमा ! चमरस्स ३ अयमेयारूवे विसयमेत्ते बुझ्ए, नो चेव णं संपत्तीए विउव्विसु ३, एवं स वि दो केवलकप्पे जंबुद्दीवे जाव आइने करेज" त्ति० प्र०-हे भगवन् ! चमरेंद्र केवी ऋद्धिवाळो छे ? अने यावत् केवी विकुर्वणा करवाने समर्थ छे ? उ० हे गौतम! चमरेंद्र यावत् समर्थ छे जंबूद्वीप जेवा द्वीपने घणा असुरकुमार जातिना देवो अ देवीओवडे भरी शके. त्यारबाद हे गौतम ! चमरेंद्र यावत् समर्थ छे असंख्यात द्वीप - समुद्रोने असुरकुमार जातिना देवो अने देवओवडे परिपूर्ण भरवा माटे. हे गौतम ! आ चमरेंद्रनो आवा प्रकारनो विषयमात्र कह्यो, परंतु संपत्तिवडे करेल नथी, करतो नथी अने करशे नहि. एवी रीते शक्रेंद्र पण वे जंबूद्वीप जेवडा वे द्वीपने यावत् परिपूर्ण भरवा माटे समर्थ छे. परिचारणा-विषयनी सेवनानी ऋद्धि, अन्य देवो प्रत्ये, बीजा देवोने स्वाधीन देवीओ प्रत्ये, पोतानी देवीओ प्रत्ये तेओने वश करीने अने पोताने (स्वशरीरने) विकुवींने परिचारणा करे छे, सचित्ता - पोतानुं शरीर अने अग्रमहिप १. बघा विमानो मळीने चोरासी लाख सताणु हजार अने त्रेवीश छे. For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३ स्थानकाध्ययने उद्देशः ४ देवराज गणि ऋद्धिवर्णनम् २१४ सूत्रम् ।। ३१५ ।।

Loading...

Page Navigation
1 ... 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377