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श्रीस्थानाङ्गास्त्र सानुवाद
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भावार्थ उपर मुजब छे. तिषिण सहस्सा सत्त य, सयाणि तेवत्तरिंच ऊसासा। एस मुहत्तो भणिओ. सव्वेहि अणंतनाणीहिं ॥११६ * २ स्थान
त्रण हजार, सातसो अने तोतेर उच्छ्वासनिःश्वासनो एक मुहूर्त सर्वे अनंतज्ञा ओए कहेल छे. त्रीश मुहूर्त प्रमाण काध्ययने एक अहोरात्रि काल छे. पंदर अहोरात्रि प्रमाण एक पक्ष छे. वे पक्ष प्रमाण एक मास छे. बे मास प्रमाण एक वसंतादि ऋतुओ उद्देशः४ छे.त्रण ऋतुना प्रमाणवाळा अयनो छे. बे अयनना प्रमाणवाला वर्षो छे. पांच वर्ष प्रमाणवाला युगो छ, सो वर्ष वगेरे प्रतीत जीवाजीवछे. चोराशी लाख वर्ष प्रमाणवाला पूर्वांगो छे. पूर्वांगने चोराशी लाखवडे गुणवाथी एक पूर्व थाय छे. आ पूर्वनुं मान वक्तव्यता नीचे प्रमाणे छे
१९५ सूत्रम् पुव्वस्स उ परिमाणं, सयरिंखल होति कोडिलक्खाओ। छप्पन्नं च सहस्सा, बोद्धवावासकोडीणं ॥११७ |
७.५६०००००००००० पूर्वनुं प्रमाण तो सिंतेर लाख क्रोड अने छष्पन हजार क्रोड वर्षतुं होय छे एम जाणवू. पूर्वने चोराशी लाखगणो करवाथी एक त्रुटितांग थाय छे एवी रीते पूर्व-पूर्वनी संख्याने चोराशी लाखवडे गुणवाथी उत्तर-उत्तर(आगळ)नी संख्या थाय छे. एम यावत् शीर्षप्रहेलिका पर्यंत जाणी लेवू. ते शीर्षप्रहेलिकार्नु एकसो ने चोरीj अंकनुं स्थान होय छे. अहिं करण (करवानी रीत) गाथा कहे छे
१ एक सो ने चोराणु अंक पर्यंत संख्या थाय छे ते उपर संख्यानो विषय सरसवना प्रमाणथी बतावेल छे, अंकनो विषय नथी.
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