Book Title: Sthanakvasi Jain Parampara ka Itihas Author(s): Sagarmal Jain, Vijay Kumar Publisher: Parshwanath VidyapithPage 17
________________ १९१ विषयानुक्रमणिका अध्याय पृष्ठ संख्या प्रथम अध्याय : जैनधर्म की ऐतिहासिक विकास-यात्रा १-५२ द्वितीय अध्यायः भगवान् ऋषभदेव से महावीर तक ५३-७४ तृतीय अध्यायः आर्य सुधर्मा से लोकाशाह तक ७५-१०७ चतुर्थ अध्यायः लोकाशाह और उनकी धर्मक्रान्ति १०८-१४१ पंचम अध्याय : लोकागच्छ और उसकी परम्परा १४२-१५९ षष्ठ अध्याय : आचार्य जीवराजजी और उनकी परम्परा १६०-१९४ आचार्य अमरसिंहजी और उनकी परम्परा १६१ आचार्य शीतलदासजी एवं उनकी परम्परा १८१ आचार्य स्वामीदासजी एवं उनकी परम्परा १८५ आचार्य नानकरामजी और उनकी परम्परा आचार्य नाथूरामजी और उनकी परम्परा १९१ सप्तम अध्याय : आचार्य लवजीऋषिजी और उनकी परम्परा १९५-२९२ आचार्य श्री हरिदासजी की पंजाब परम्परा (अमरसिंहजी का सम्प्रदाय) पंजाब सम्प्रदाय के प्रभावी सन्त २०५ श्री मदन-सुदर्शन गच्छ २२४ श्री मदनगच्छ सम्प्रदाय आचार्य सोहनलालजी की शिष्य परम्परा २२५ कालाऋषिजी की मालवा परम्परा २४१ ऋषि सम्प्रदाय के प्रभावी सन्त २५२ मंगलऋषिजी की खम्भात शाखा की परम्परा २७६ अष्टम अध्यायः धर्मसिंहजी का दरियापुरी सम्प्रदाय २९३-२९५ नवम अध्याय : आचार्य धर्मदासजी की परम्परा में उद्धृत गुजरात के सम्प्रदाय २९६-३४५ आचार्य मूलचन्दजी और लीम्बड़ी सम्प्रदाय की स्थापना २९७ लीम्बड़ी मोटा सम्प्रदाय (अजरामर संघ) की पट्ट परम्परा ३०१ लीम्बड़ी सम्प्रदाय के प्रभावी मुनिगण ३०७ लीम्बड़ी (गोपाल) संघवी सम्प्रदाय ३२८ १९६ २२५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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