Book Title: Sramanya Navneet
Author(s): Jayanandvijay
Publisher: Ramchandra Prakashan Samiti

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Page 40
________________ अर्थः सिद्धों का सुख असांयोगिक अर्थात् पर पदार्थों से निरपेक्ष है, इसी कारण वह श्रेष्ठ माना गया है। उत्सुकता रूपी दुःख होने से पर की अपेक्षा में कोई सुख-नहीं है। अपेक्षित की प्राप्ति होने पर भी प्राप्त का संयोग वियोग का ही कारण है, तो सुख कहां रहा? अतः संयोग से होनेवाला फल अफल ही है, क्योंकि वह विनश्वर एवं अधःपतन का कारण है। फिर भी अज्ञानी जीवों को वह क्यों अत्यन्त इष्ट प्रतीत होता है? इसीलिए कि मोह से अफल में फल बुद्धि आदि स्वरूप विपर्यास उत्पन्न होता है। ऐसे विपर्यास से असत्प्रवृत्ति द्वारा अनन्त अनर्थ होते हैं। यही कारण है कि भगवान ने मोह को परम भावशत्रु कहा है ।।३।। - मूल - नागासेण जोगो एअस्स, से सरुवसंठिए, नागासमण्णत्थ, न सत्ता सदंतरमुवेइ अचिंतमेअं केवलिगम्मं तत्तो निच्छयमयमेअं विजोगवं च जोगो त्ति न एस जोगो भिण्णं लक्खणमेअस्स। न इत्याविक्खा। सहावो खु एसो अणंतसुहसहावकप्पो। उवमा इत्थ न विज्जड़। तमावेडणुभवो परं तस्सेव। आणा एसा जिणाणं सवण्णूणं अवितहा एगंतओ। न वितहत्ते निमित्तं, न चानिमित्तं कज्जं ति। निदंसणमित्तं तु नवरं ॥४॥ अर्थ : प्र. अगर संयोग ही दुःख का कारण है तो सिद्धों को आकाश के साथ संयोग होने से दुःख क्यों नहीं होता? उ.- सिद्ध जीवका आकाश के साथ संयोग नहीं है,क्योंकि सिद्ध अपने स्वरूप में ही स्थित हैं। प्र. - सिद्ध आधार के बिना कैसे रह सकते हैं? उ. - क्यों नहीं रह सकते? आकाश स्वयं ही दूसरे के आधार बिना रहता ही है न। एक सत्ता दूसरी सत्ता के रूप में परिणत नहीं होती, और न कोई अपने स्वरूप में रहकर अथवा स्वरूप पलटकर किसी अन्य के आधार पर रहता है। यह तत्त्व केवली सर्वज्ञ भगवंतों से गम्य है, अचिन्त्य है। यह निश्चयनय का मत है। (व्यवहार मत भिन्न है, एक वस्तु दूसरे के आधार पर रहती है, तो यहां सिद्धों का आकाश में रहने से संयोग सिद्ध होगा, लेकिन उस संयोग की वियोग शक्ति क्षीण हो जाने से दुष्टता नहीं है, यह सुसङ्गत है।) संयोग वियोगवाला होता है, इस सिद्धान्त से मानना चाहिए कि सिद्ध का आकाश के साथ कभी वियोग न होने के कारण वैसा संयोग नहीं हुआ है। जो संयोग हुआ है उसका लक्षण भिन्न है, उसमें सिद्ध जीव को किसी की अपेक्षा नहीं है। तो अपेक्षाकृत कोई दुःख नहीं है। प्र. - सिद्ध जीव लोकान्त आकाश तक क्यों गमन करते हैं? श्रामण्य नवनीत ३१

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