Book Title: Sramana 2007 01 Author(s): Shreeprakash Pandey, Vijay Kumar Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi View full book textPage 7
________________ हिन्दी खण्ड तीस वर्ष और तीन वर्ष : आगमों में अनगार के प्रकारः परिव्राजक, तापस और आजीवक के विशेष सन्दर्भ में वैदिक और श्रमण परम्पराओं में सामाजिक पारस्परिकता जैन-जैनेतर धर्म-दर्शनों में अहिंसा जैन एवं बौद्ध धर्मों में चतुर्विध संघों का परस्पर योगदान जैन ज्ञानमीमांसाः प्रमाणनयतत्त्वालोक के विशेष सन्दर्भ में भारतीय तर्कशास्त्र को जैन दर्शन का जैन एवं शैव धर्मों के बीच समीपता के साहित्यिक एवं अभिलेखीय प्रमाण 0 जैन साहित्य में वर्णित व्यापारिक साधन - स्व० डा० नन्दलाल जैन - डा० विजय कुमार -डा० सुधा जैन - डा० श्यामकिशोर सिंह -डा० शारदा सिंह - डा० राघवेन्द्र पाण्डेय योगदान- डा० राकेश कु०सिंह -डा० कृष्णकान्त मिश्र डा० संजय कु० पाण्डेयPage Navigation
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