Book Title: Shatrunjaya Giriraj Darshan ane Shilp Sthapatya kalama Shatrunjay
Author(s): Kanchansagarsuri
Publisher: Agamoddharak Granthmala
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श्रीशत्रुजय-गिरिराज-दशनम्
विजयते संपदामेकहेतु । स्तावत्तिथैत्र भक्ताभिमत सूरतरुनंदतादेष नाथः ॥१॥” इत्याशीर्वचनः ॥ सार्धस्त्रयसहस्रा ब्रहत्रुपकमानतः चैत्येत्रे व्ययसंख्यायां प्रमाणमिति निश्चितं ॥ शिल्पि तुलजारामवनमालीभ्यां निर्मितं ।। लि०॥उ०॥ श्री ५ श्रीनानरत्नगणिशिष्येण ॥ उ०॥ श्रीउदयरत्नसोदरेण । पं० । इंसरत्नगणिनेति श्रेयः ।
ले० १४० बृहटके देरीनं० ३२४ श्रावकश्राविके ॥ संवत १४३० ज्येप्ट वदि ४ मुला(तुलार्के मडली-मंत्री-मंडलीकेण मत्रीजी नीदजी युगम सं० प्रना सं० विरा -सुश्रावक-प्रमुख कुटुंब युतेन ढीलागांसादि परिवार परिवृतान्यां कारितं प्रतिष्ठितं श्रीजिनोदयसू रिभिः । चिर नंदतु ॥
ले० १४१ देरीन. ८८४/३४ ख० व० पाषाणबिंब ॥ सूरत्ताणनूरदीनजहांगीरसवाइविजायराज्ये सं० १६७५ वैशाख सुदि १३ शुक्रे ओसवालज्ञातीय भणसाली शा० साता भार्या मुली पु० कमलसी भार्या कमलादे पुत्र लखराज भार्या वरबाइ पुत्र रत्न सा० सडुआकेन भार्यापहुती पुत्रीदेवकी प्रमुखसहितेन श्रीराजनगरवास्तव्येन श्रीअजितनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीश@जयोद्धारप्रतिष्ठियां श्रीबृहत्तरतरगच्छाधिराज युगप्रधान-श्रीजिनसिंहसू रि पट्टालंकारक श्रीजिनराजसू रिसू रिचक्रवर्तिभिः ।
ले० १४२ ख० व० पश्चाद्भागे देवकुलिका । संवत १७८४ वर्षे मर्गशिर वदि ५ बुधवासरे ॥ अहम्मदावादवास्तव्य-ओसवालज्ञातीय-वृद्धशाखायां शाह वाघजी पुत्र शाह उदेचंद भार्यादेवकुअर पुत्र शाह सकलचंद । हेमचंद । करमचंद । हीराचंद । संयुतेन ॥ श्रीसीमंधरस्वामिबिंबं कराषितं प्रतिष्ठितं च श्रीबृहत्खरतरगच्छाधिराज-श्रीअकबरसाहीप्रतिबाधकतत्प्रदत्तयुगप्रधानभट्टारक-श्रीजिनचंद्रसू रिभिः........महोपाध्याय श्रीराजसागरजी शिप्य महोपाध्याय श्रीज्ञानधर्मजी शिप्य उपाध्याय श्रीदीपचंद्र ॥ पं० देवचंद्र प्रमुख परिवारेन.
ले० १४३ ख०व० प० दे० ॥ संवत १६७५ वैशाख सुदि १३ शुक्र सूरत्राणनूरदीजहांगीरसवाइविजाराज्ये श्रीराजनगरवास्तव्य-प्राग्वाटज्ञातीय-शे० देवराज भार्या रुडी, पुत्र शा० गोपाल भार्या राजु पुत्र राजा पुत्र सं० माआ भाईर्या नाकु पुत्र सं० · जोगी भार्या जलदे पुत्र सं० शिवाकेन भार्या विमलदे पुत्र लालजी भार्या मानों पुत्र गोटा प्रमुख परिवार सहिंतेन श्रीपारगत-पुजासाधर्मिक-वात्सल्य....क्षेत्रवित्तबीजवपननिरतेन श्रीशांतिनाथवि
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