Book Title: Shatrunjaya Giriraj Darshan ane Shilp Sthapatya kalama Shatrunjay
Author(s): Kanchansagarsuri
Publisher: Agamoddharak Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 474
________________ श्रीशत्रुजयगिरिवरगता लेखाः प्रवर्ते श्रीराजनगरमध्ये शेठबीरुदधारक । शेठ शांतिदास । तत् पुत्र शेठ लखमिचंद तत्पूत्रशेठ खुसालाचंद तत्भारयाबाई जमकु तत्कुक्षि पूत्ररतन शेठ वखतचंद भारया बाई जोइतिबाई त०बाई जडावबा वृद्धभार्या बाई जाइति पूत्र शेठ इछाभाई तत् भार्याबाई जबेरबाई लघु भारया जडावबाई पुत्र ६ तथा पूत्री २ तस्थ नामानि-शेठ पानाभाई तत्भारया बाई मोघी तत्कुक्षे पत्र शेठ ललुभाई तथा बेहेन गजरां ॥ २ ॥ शेठ मोतिभाइ भारया रूपकुअर लघुभारया बाई केवलबाई ॥ ३ ॥ तत्पूत्र फतेभाइ तत्भारयाबाई अधर त० कुक्षे पुत्र भगुभाइ १ तत्पुत्र दलपतभाइ नेमचंद २ लघुभारया तत्पूत्र गोकुलभाइ त्रीजीलधुभारया उईदवहु तत्कुक्षे पुत्र ३, पुत्री १, चंदरमल । वाडीलाल त० । मगन ॥ बाईदीवालि शेठ मोतिभाइ लघुभारया बाई केवल तत्कुक्षे पुत्र ४, घेराभाई १, बालाभाई २, मणिभाई ३, मोहकमभाइ ४, शेठ अनोपभाई भारया बीजीवहु पुत्र ३ पुत्री ४ मासाभाई १, महासुखभाई २, मोहनलालभाई ३, बेन महालक्ष्मी १, बहेन धीरज २, बहेन चंदन ३, बहेन अंबा ४, राजसमाशंगारशेठ हेमाभाइ भारयाबाई कंकुबाई तत्कुक्षे पुत्र २, पुत्री ३, शेठ नगीनदास भारया इछावहु से० प्रेमाभाइ भारया पालकिवहु कुक्षे पुत्र मयाभाइ लघुभारया उजलीवहु २, बेहेनरुखमणी १, बेहेन परसन २, बेहेन मोतिकुवर ३ ॥ शेठ सुरजमलभाइ भार्या प्रधान वहु कुक्षे पुत्री २ बहेन रतन बहेन समरथ २, लघु भार्या तत्कुक्षे पुत्र २, चंदुलाल १, चुनिलाल २, ॥ शेठ मनसुखभाइ भार्या सरदारकुअर, तत्पुत्र २ पुत्री २ खेमचंदभाई तथा छगनभाई बेहेन मेना १, बहेन चंपा २, बहेन उजमबहेन १, बहेन विजलि २ ॥ इति शेठ वखतचंद सपरिवार श्रीसिद्धक्षेत्रे धन वापर्यु । श्रीराजनगरे जिनप्रासाद कारापीतं श्रीचिंतामणि- देहरासर संवत १८४५नी सालमां कराव्युं ॥ श्रीअजितनाथजीनो पासाद अंजनशलाखा सं. १८५४ ना महावदी ५ दहेरानि प्रतिष्ठा सं. १८५५ फागुलसुदि २ श्रीअजितनाथ स्थापीतं ते मध्ये धातुनाकाउसगीया तथा संखेश्वरपार्श्वनाथ शेठाणी जडाववाइना नामना पधराव्या सं. १८६८नी सालमध्ये शेठजि वखतचंदजीए उभीसोरठनो संघ काहाड्यो, श्रीसिद्धाचलजी त० श्रीगीरनारजी विगेरे सर्वे जात्राकरी १ शेठ शेठाणिइ श्रीसिद्धाचलजीनि नवाणु यात्रा करी । सं. १८६९नी सालमध्ये शेठ वखतचंदजी श्रीसिद्धाचलजीथी आविने चोथु वरत उचयु । सं. १८७०ना फागुणवद ४ शेठजि देवलोक गया । ते पछी सं. १८७२नी शालमां श्री (४३) Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548