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(४) कौन जीव किस गति से किस गति में जाता-आता है
(गति-आगति चूलिका सूत्र ७६-२०२)
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निर्गमन करने वाले |
निर्गमन करने वाले
जीवविशेष
प्राप्त करने योग्य गतियाँ
प्राप्त करने योग्य गतियां
नरक
तियंच
मनुष्य ।
देव
नारकी
प्रथम पृथिवी से छठी पृथिवी तक के नारकी मिथ्यादृष्टि
पंचेन्द्रिय, संज्ञी गर्भज, पर्याप्त, गर्भज, सं० संख्यातवर्षायु. वर्षायुष्क
७६-८५व
२
सासादनसम्य० सम्यग्मिथ्यादृष्टि
निर्गम
सम्भव नहीं
सम्यग्दृष्टि
८७-६१
गर्भज, पर्याप्त, संख्यातवर्षायु..
सप्तम पृथिवीस्थ नारक मिथ्यादृष्टि
पंचे०, संज्ञी पर्याप्त, गर्भज संख्यातवर्षायू०
६३-६६ व १००
तियंच
भवनवासी से पंचेन्द्रिय, संज्ञी, गर्भज, | सब सब तियंच सब मनुष्य शतार-सह- १०१-६ पर्या., सं.वर्षा., मि.दृ. नारक
स्रार तक असंज्ञी पंचेन्द्रिय पर्याप्त प्रथम
भवनवासी व पृथिवी (संख्यातवर्षायु०) (संख्यातवर्षायु०) वानव्यन्तर | १०७-११ पंचेन्द्रिय संज्ञी-असंज्ञी]|| अपर्याप्त, पृथिवीका. ] अप्कायिक, वनस्पति-11
असंख्यात वर्षा- असंख्यात वर्णका., निगोदजीव
HI-- युष्कों को छोड़ युष्कों को छोड़ |
११२-१४ बादर-सूक्ष्म, बादर ।।
सब तिर्यंच । सब मनुष्य वनस्पतिकायिक, प्रत्येकशरीर, पर्याप्तअप., दो-तीन-चतु. पर्याप्त-अप. तेजस्कायिक व वायु-]] असंख्यात वर्षाकायिक बादर-सूक्ष्म || - | युष्कों को छोड़ ___ - - । ११५-२७
११५-२७ पर्याप्त-अपर्याप्त
सब तिर्यंच
७७८ / षट्खण्डागम-परिशीलन
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