Book Title: Shatkhandagama Parishilan
Author(s): Balchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 925
________________ ग्रह ग्रन्थकृति ६/३२१ घातिसंज्ञा १५/१७११६/३७७,५३६ ग्रन्थसम ६/२६०,२६८; १३/२०३; घोरमान ६/२५७ १४/८ घोरगुण ६/६३ ग्रन्थिम ६/२७२ घोरतप ६/६२ ४/१५१ घोरपराक्रम ९/६३ ग्रहणतः आसपुद्गल १६/५१५ घोलमानजघन्ययोग १६/४३५ ग्रहणप्रायोग्य १४/५४३ घोष १३/२२१,३३६ ग्राम ७/६; १३/३३६ घोषसम ६/२६१,२६६; १३/२०३; ग्रेवेयक ४/२३६; १३३१८ १४/8 ग्लान १३/६३,२२१ घ्राणनिति १/२३५ घ्राणेन्द्रिय ४/३६१; ७/६५ घ्राणेन्द्रियअर्थावग्रह १३/२२८ घ्राणेन्द्रिय अवाय १३/२३२ घट १३/२०४ घ्राणेन्द्रिय ईहा १३/२३२ घटोत्पादानुभाग १३/२४६ घ्राणेन्द्रिय व्यंजनावग्रह १३/२२५ घन १३/२२१ घनपल्य ३/८०,८१ घनफल ४/२० पनरज्ज ४/१४६ चक्रवर्तित्व ६/४८६,४६२,४६५,४६६ घनलोक ४/१८,१८४,२५६, ७/३७२ ६/३३; ७/१०१,१५/१० घनलोक प्रमाण ४/५० चक्षुदर्शनस्थिति। ५/१३७,१३६ घनहस्त १३/३०६ चक्षुदर्शनावरणीय घनांगुल ३/१३२,१३६% ४/१०, चक्षुदर्शनी ७/६८; ८/३१८ ४३,४४,४५,१७८; ५/३१७,३३५ चक्षुरिन्द्रिय १/२६४; ४/३६१, ७/६५ धनांगुलगुणकार ४/३३ चक्षुरिन्द्रय अर्थावग्रह १३/२२७ घनांगुलप्रमाण ४/३३ चक्षुदर्श १/३७९,३८२, १३/३५५ धनांगुलभागहार ४/६८ चक्षुदर्शनावरणीय १३/३५४,३५५ घनाघनधारा ३/५३,५८ चतु:शरीर १४/२३८ घातक्षुद्रभवग्रहण ४/२६२, ७/१२६, चतुःशिरस् १३/८६ १३६; १४/३६२ चतुःपष्ठिपदिकदण्डक १२/४४ घातभुवभवग्रहणमात्र काल ७/१८३ चतुःसामयिकअनुभागस्थान ११/२०२ घातपरिणाम १२/२२०,२२५ चतुःसामयिकयोगस्थान १०/४६४ घातस्थान १२/१३०,२२१,२३१; चतुःस्थानबन्धक ११/३१३ १६/४०७ चतु:स्थानिक १५/१७४ घातायुक ६/८८ चतुःस्थानिकअनुभागबन्धक ६/२१० पातिकर्म ७/६२ चतुःस्थानअनुभागवेदक ६/२१३ परिशिष्ट ७/९६९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 923 924 925 926 927 928 929 930 931 932 933 934 935 936 937 938 939 940 941 942 943 944 945 946 947 948 949 950 951 952 953 954 955 956 957 958 959 960 961 962 963 964 965 966 967 968 969 970 971 972 973 974