Book Title: Shatkhandagama Parishilan
Author(s): Balchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 923
________________ क्षायिकलाभलब्धि १४/१७ गच्छ ४/१५३; २०१; १०/५०; क्षायिकविपाकप्रत्ययिकजीव १३/६३ भावबंध १४/१५,१६ गच्छराशि ४/१५४ क्षायिकसम्यक्त्व १/३६५; ७/१०७; गच्छसमीकरण ४/१५३ १४/१६ गड्डी १४/३८ क्षायिकसम्यक्त्वाद्धा ५/२५४ गण क्षायिकसम्यग्दृष्टि १/१७१, ४/३५७; । गणधर ६/३,५८ ६/४३२,४४१ गणनकृति ६/२७४ क्षायिकसंज्ञा ५/२०० गणनानन्त ४/१५,१८ मायोपशमिक १/१६१,१७२; ५/४००, गणनासंख्यात ३/१२४,१२६ २११,२२०; ७/३०,६१ गणित ४/३५,२०६ क्षायोपशमिकभाव ५/१८५,१६८ गणी १४/२२ क्षिप्र ६/१५२ गति ६/५०; ७/६,१३/३३८, क्षिप्रप्रत्यय १३/२३७ ३४२,३४६ क्षीणक्रोध १४/१६ गति आगति ६/३ क्षीणदोष १४/१६ गतिनाम १३/३६३,३६७ क्षीणमाया १४/१६ गतिनिवृत्ति ६/२७६ क्षीणमोह १४/१६ गतिमार्गणता १३/२८०,२८२ क्षीणराग १४/१६ गतिसंयुक्त ८/८ क्षीणलोभ १४/१६ गन्ध ६/५५; ८/१० क्षेत्र १४/३६ गन्धनाम १३/३६३,३६४,३७० क्षेत्रवर्गणा १४/५२ गन्धर्व १३/३६१ १३/३६१ गर्भोपक्रान्त गर्भोपक्रान्तिक ६/४२८; ७/५५५,५५६ खगचर ११/६०,११५; १३/६० गलस्थ १३/६६ खण्ड ७/२४७ गलितशेषगुणश्रेणी ६/२४६,२५३, खण्डित ३/३६,४१ ३४५; १०/२८१ खातफल ४/१२,१८१,१८६ गवेषणा १३/२४२ खेट ७/६; १३/३३५ गव्यू ति १३/३२५ खेटविनाश १३/३३२,३५५,३४१ गव्यूतिप्रथक्त्व १३/३०६,३३८ खेलौषधि ६/६६ गान्धार १३/३३५ गारव गिल्ली १४/३८ १/१७४; ४/२००, ६/१३७; गगन ४/८ १५/१७४ गरुड गण परिशिष्ट ७/८६७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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