Book Title: Shatkhandagama Parishilan
Author(s): Balchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 942
________________ प्रथम समय तद्भवस्थ १४/३३२ प्रमाणकाल ११/७७ प्रथम संग्रहकृष्टिअन्तर ६/२७७ प्रमाणघनांगुल ४/३५ प्रथम स्थिति ६/२३२,२३३,३०८ प्रमाणपद १/७७; ६/६०,१३६,१९६; प्रथमाक्ष ७/४५ १३/२६६ प्रथमानुयोग १/११२; ६/२०८ प्रमाणराशि ४/७१,३४१ प्रदेश १३/११ प्रमाणलोक ४/१८ प्रदेश उदीरकअध्यवसानस्थान १६/५७७ प्रमाणवाक्य ४/१४५ प्रदेशगुणहानिस्थानान्तर १६/३७६ प्रमाणांगुल ४/४८,१६०,१८५ प्रदेशघात ६/२३०,२३४ प्रमाद प्रदेशछेदना १४/३३६ प्रमेय प्रदेशदीर्घ १६/५०६ प्रमेयत्व ४/१४४ प्रदेशप्रमाणानुगम १४/३२१ प्रमोक्ष ८/३ प्रदेशबन्ध ६/१९८,२००; ८२ प्रयोग १२/२८६; १३/४४ प्रदेश बन्धस्थान १०/५०५,५११ प्रयोगकर्म १३/३८,४३,४४ प्रदेशमोक्ष १६/३३८ प्रयोगपरिणत १४/२३,२४ प्रदेशविन्यासावास १०/५१ प्रयोगबन्ध १४/३७ प्रदेश विपरिणामना १५/२८३ प्रयोगश: उदय १५/२८६ प्रदेशविरच १४/३५२ प्रयोजन ८/१ प्रदेश विरचित अल्पबहुत्व १०/१२०,१३६ प्ररूपणा १/४११ प्रदेशसंक्रम ६ /२५६,२५८; १६/४०८ प्ररोहण १४/३२८ प्रदेशसंक्रमणाध्यवसानस्थान १६/५७७ प्रवचन ८/७२,७३,६०; १३/२८०,२८२ प्रदेशह्नस्व १६/५११ प्रवचनप्रभावना ८/७६,६१ प्रदेशाग्र ६/२२४,२२५ प्रवचनभक्ति ८/७६,९० प्रदेशार्थता १३/६३ प्रवचनवत्सलता ८/७६,९० प्रधान द्रव्यकाल ११/७५ प्रवचनसन्निकर्ष १३/२८०,२८४ प्रधानभाव ४/१४५ प्रवचनसंन्यास १३/२८४ प्रपद्यमान उपदेश ३/१२ प्रवचनाद्धा १३/२८०,२८४ प्रबन्धन १४/४८०,४८५ प्रवचनार्थ १३/२८०,२८२ प्रबन्धकालन १४/१४,४८५ प्रवचनी १३/२८०,२८३ प्रभा १४/३२७ प्रवचनीय १३/२८०,२८१ प्रभापटल ४/८० प्रवरवाद १३/२८०,२८७ प्रमत्तसंयत्त १/१७६; ८/४ प्रवाहानादि ७/७३ प्रमत्ताप्रमत्तपरावर्तसहस्र ४/३४७ प्रवेध प्रमाण ३/४,१८; ४/३६६; ७/२४७; प्रवेशन ४/५७ ९/१३८,१६३ प्रश्नव्याकरण १/१०४; ६/२०२ प्रमाण (परिणाम) ३/४०,४२,७२ प्रशम ७/७ प्रमाण (राशि) ३/१८७,१६४ प्रशस्ततैजसशरीर ४/२८, ७/४०० ४/१६१ ८८६ / पट्खण्डागम-परिशीलन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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