Book Title: Shatkhandagama Parishilan
Author(s): Balchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 955
________________ ६/५२ व्यन्तरदेवराशि ४/१६१ शरीर १४/४३४,४३५ न्यन्तरदेवसासादनसम्यग्दृटि शरीरआंगोपांग ६/५४; १३/३६३,३६४ स्वस्थानक्षेत्र ४/१६१ शरीरनाम १३/३६३,३६७ व्यन्तरावास ४/१६१,२३१ शरीरनामकर्म व्यभिचार ४/४६,३२०; ५/१८६,२०८; शरीरनिवृत्तिस्थान १४/५१६ ६/४६३,४६५; ८/३०८; ६/१०७; शरीरपर्याप्ति १/२५५; ७/३४; १४/५२७ १०/५१०; १२/२१; १३/७ शरीरबन्ध १४/३७,४१,४४ व्यवस्थापद १०/१८; १२/३ शरीरबन्धन व्यवसाय १३/२४३ शरीरबन्धनगुणछेदना १४/४३६ व्यवहार १/८४; ७/२६; १३/४,३६,१६६ शरीरबन्धननाम १३/३६३,३६४ व्यवहारकाल ४/३१७ शरीरविनसोपचयप्ररूपणा १४/२२४ व्यवहारनय __७/१३,६७; ६/१७१ शरीरसंघात ६/५३ व्यवहारपल्य १३/३०० शरीरसंघातनाम १३/३६३,३६४ व्याख्यान ४/७६,११४,१६५,३४१ शरीरसंस्थान ६/५३ व्याख्याप्रज्ञप्ति १/१०१,११०; शरीरसंस्थाननाम १३/३६३,३६४ ९/२२०,२०७ शरीरसंहनननाम १३/३६३,३६४ व्याघात ४/४०९ शरीरी १/१२०; १४/४५,२२४ व्यापक ४/८ शरीरीशरीरप्ररूपणा १४/२२४ व्यास ४/२२१ शलाका ३/३१, ४/४३५,४८४; व्युत्सर्ग ८/८३,८५; १३/६१ ६/१५२ व्रज १३/३३६ शलाकाराशि ३/३३५,३३६ ८/८३ शलाकासंकलना ४/२०० शशिपरिवार ४/१५२ शटिका (साडिया) १४/४१ शालभंजिका ४/१६५ शककाल ६/१३२ शाश्वतानन्त ३/१५ शकट १४/३८ शाश्वतासंख्यात ३/१२४ शक्तिस्थिति १०/१०६,११० शिविका १४/३६ সুন্ধ १३/१३,१६ शीत ६/७५ शत ४/२३५ शीतनाम १३/३७० शतपृथक्त्व ७/१५७ शीतस्पर्श १३/२४ शतसहस्र ४/२३५ शील ८/८२ शतार ४/२३६ शीलवतेषु निरतिचारता ८/७६,८२ शब्दनय १/८७; ७/२६; ६/१७६,१८१, शुक्र ४/२६५; १३/३१६ १३/६,७,४०,२०० ६/७४; १३/५० शब्दप्रविचार १/२३६ शुक्लत्व १३/७७ शब्दलिङ्गज १३/२४५ शुक्लध्यान १३/७५,७७ व्रत परिशिष्ट ७/८६६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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