Book Title: Shatkhandagama Parishilan
Author(s): Balchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
________________
विरच
विभंगज्ञान १/३५८; १३/२९१ विष्णु
१/११६ विभंगज्ञानी ७/८४; ८/२७६; १४/२० विषम
१४/३३ विमाता १४/३० विषय
१३/२१६ तिमान ४/१७०; १४/४६५ विषयिन्
१३/२१६ विमानतल ४/१६५ विस्तार
४/१६५ विमानप्रस्तर १४/४६५ विस्तारानन्त
३/१६ विमानशिखर ४/२२७ विस्तारासंख्यात
३/१२५ विमानेन्द्रिय
१४/४६५ विस्रसापरिणतअवगाहना १४/२५ १४/३५२ विस्रसापरिणतगति
१४/२५ विरति ८/८२; १४/१२ विस्रसापरिणतगन्ध
१४/२५ विरलन ३/१९; ४/२०१, १०/६६,८२ विस्रसापरिणतरस
१४/२५ विरलित ३/४०,४२; ७/२४७ विस्रसापरिणतवर्ण
१४/२५ विरह ४/३६०; ५/३ विस्रसापरिणतस्कन्ध
१४/२६ विलेपन ६/२७३ विस्रसापरिणतस्कन्धदेश
१४/२६ विविक्त १३/५८ विस्रसापरिणतशब्द
१४/२५ विविक्तशय्यासन १३/५८ विस्रसापरिणतस्पर्श
१४/२५ विविधभाजनविशेष १३/२०४ विस्रसापरिणतसंस्थान
१४/२६ विवेक १३/६० विस्रसाबन्ध
१४/२६ विलोमप्रदेशविन्यास १०/४४ विस्रसासुवचय
१४/४३० विशरीर
१४/२३७ विस्रसासुवचयप्ररूपणता १४/२२४ विशिष्ट १०/१६ विस्रसोपचय
४/२५; ६/१४,६७; विशुद्धता ११/३१४
१०/४८; १३/३७१ विशुद्धि ६/१८०,२०४; ११/२०९ विसंयोजन
४/३३६, १२/५० विशुद्धिस्थान ११/२०८,२०६ विहायोगति
६/६१; ८/१० विशद्धिलब्धि ६/२०४ विहायोगतिनाम
१३/३६३,३६५ विशेष ४/१४५; १३/२३४ विहायोगतिनामकर्म
४/३२ विशेषमनुष्य ७/५२; १५/६३ विहारवत्स्वस्थान
४/२६,३२,१६६; विशेषविशेषमनुष्य ७/५२; १५/६३
७/३०० विष १३/५,३४ वीचार
१३/७७ विष्कम्भ
४/११,४५,१४७ वीचारस्थान ६/१८५,१८७,१६७; विष्कम्भचतुर्भाग ४/२०६
११/१११ विष्कम्भवर्गगुणितरज्जु ४/८५ वीचारस्थानत्व
६/१५० विष्कम्भवर्गदशगुणकरणी ४/२०६ वीणा
१०/४०३ विष्कम्भसूची ३/१३१,१३३,१३८; १०/६४ वीतराग
६/११८ विष्कम्भसूचीगुणितश्रेणी ४/८० वीतरागछद्मस्थ
१५/१८२ विष्कम्भाध ४/१२ वीर्यप्रवाद
६/२१३ विष्ठौषधिप्राप्त
६/६७ वीर्यान्तराय ६/७८; १३/३८६; १५/१४
परिशिष्ट ७/८९७
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 951 952 953 954 955 956 957 958 959 960 961 962 963 964 965 966 967 968 969 970 971 972 973 974