Book Title: Shatkhandagama Parishilan
Author(s): Balchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
View full book text
________________
अपूर्वकरण
१/१८०,१८१,१८४; अप्रशस्तोपशामना ६/२५४; १६/२४६ ४/३३५,३५७; ६/२२०,२२१,२४८, अप्रशस्तोपशामनाकरण ६/२६५,३३६ २५२; ८/४; १०/२८०, अबद्धप्रलाप
१/११७ अपूर्वकरण उपशामक ७/५ अबद्धायुष्क
६/२०८ अपूर्वकरणकाल ७/१२ अबंधक
७/८ अपूर्वकरणक्षपक
४/३३६, ७/५ अभव्य १/३६४; ७/२४२; १०/२२; अपूर्वकरणगुणस्थान ४/३५३
१४/१३ अपूर्वकरणविशुद्धि ६/२१४ अभव्य समान भव्य
७/१६२,१७१, अपूर्वस्पर्धक ६/३६५, ४१५; १०/३२२,
१७६; १०/२२ ३२५; १३/८५; अभव्यसिद्धिक
७/१०६; ८/३५६ १६/५२०,५७८ अभाग
७/४६५ अपूर्वस्पर्धकशलाका ६/३६८ अभिजित
४'३१८ अपूर्वाद्धा ५/५४ अभिधान
५/१६४ अपोहा १३/२४२ अभिधान निबन्धन
१६/२ अप्कायिक १/२७३; ७/७१; ८/१६२ अभिधेय
८/१ अप्रणतिवाक
१/११७ अभिन्नदशपूर्वी अप्रतिपात अप्रतिपद्यमान स्थान ६/२७६, अभिनिबोध
६/१५ २७८ अभिमुख अर्थ
१३/२०६ अप्रतिपाति १३/२६२,२६५ अभिव्यक्तिजनन
४/३२२ अप्रतिपाती
/४१ अभीक्ष्ण अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगअप्रतिहत
१४/३२७
युक्तता ८/७६,६१ अप्रत्याख्यान ६/४३; १३/३६० अभेद
४/१४४ अप्रत्याख्यारावरणदण्डक ८/२५१,२७४ अभ्याख्यान
१/११६; १२/२८५ अप्रत्याख्यानावरणीय ६/४४ अभ्र
१४/३५ अप्रत्यय ८/८ अमूर्त
४/१४४ अप्रदेश १४/५४ - अमूर्तत्त्व
६/४६० अप्रदेशिक ___३/३ अमूर्त द्रव्यभाव
१२/२ अप्रदेशिकानन्त ३/१२४ अमृतस्रवी
६/१०१ अप्रदेशिकासंख्यात
३/१५,१६ अयन ४/३१७,३६५; १३/२६८,३००; अप्रधानकाल
१४/३६ अप्रमत्त ७/१२ अयश:कीर्ति
८/8 अप्रमत्तसंयत
१/१७८; ८/४ अयशःकीति नाम १३/३६३,३६६ अप्रमाद १४/८६ अयोग
१/१६२; ७/१८ अप्रवद्यमानोपदेश १०/२६८ अयोगकेवली
१/१६२ अप्रबीचार १/३३६ अयोगवाह
१३/२४७ अप्रशस्त तैजसशरीर ४/२८; ७/३०० अयोगव्यवच्छेद
११/२४५,३१७ अप्रशस्त विहायोगति
६/७६ अयोगिकेवली
८५२ / षट्खण्डामम-परिशीलन
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 906 907 908 909 910 911 912 913 914 915 916 917 918 919 920 921 922 923 924 925 926 927 928 929 930 931 932 933 934 935 936 937 938 939 940 941 942 943 944 945 946 947 948 949 950 951 952 953 954 955 956 957 958 959 960 961 962 963 964 965 966 967 968 969 970 971 972 973 974