Book Title: Shatkhandagama Parishilan
Author(s): Balchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 917
________________ उपशामक ४/३५२,४४६, ५/१२५, २६०, ६/२३३, ७/५ उपशामकअध्यवसान १६/५७७ ऋजुक १३/३३० उपशामकाद्धा ४/१५६,१६० ऋजुगति ४/२६,२६,८० उपशामनवार १०/२६४ ऋजुमति ४/२८;६/६२ उपशामना १०/४६; १५/२७५ ऋजुमतिमनःपर्ययज्ञानाउपशामनाकरण १०/१४४ वरणीय १३/३२८,३२६,३४० उपसंहार ८/५७; १०/१११, ऋजवलन ४/१८० २४४,३१० ऋजुसूत्र ६/१७२,२४४; १३/६,३६, उपादानकारण ७/६९; ६/११५; ४०,१६६ १०/७ ऋजुसूत्रनय ७/२६ उपादेय ७/६६ ऋण १०/१५२ उपादेयछेदना १४/४३६ ऋतु ४/३१७,३६५; १३/२६८,३०० उपाध्याय १/५० ऋद्धि १३/३४६,३४८; १४/३२५ उपार्धपुद्गलपरिवर्तन ४/३३६; ७/१७१,२११ उपासकाध्ययन १/१०२,६/२०० एक १३/२३६ उभय १३/६० एक-एकमूलप्रकृतिबंध ८/२ उभयसारी ६/६० एकक्षेत्र १३/६,२६२,२६५ उभयान्त ३/१६ एकक्षेत्रस्पर्श १३/३,६,१६ उभयासंख्यात ३/१२५ एकक्षेत्रावगाढ ४/३२७ उराल १४/३२२,३२३ एकत्वविचारअविचार १३/७६ उलुंचन १३/२०४ एकत्ववितर्कअविचारशुक्लध्यान ४/३६१ उश्वास ४/३६१ एकदण्ड उष्णनाम १३/३७० एकनारकावासविष्कम्भ ४/१८० उष्णनामकर्म ६/७५ एकप्रत्यय ६/१५१ उष्णस्पर्श १३/२४ एकप्रादेशिकपुद्गलद्रव्यवर्गणा १४/५४ एकप्रादेशिकवर्गणा १४/१२१,१२२ ऊर्वकपाट १३/३७६ एकबन्धन १४/४६१ कर्वकपाटच्छेदनकनिष्पन्न ४/१७६ एकविध ६/१५२; १३/२३७ ऊवलोक ४/8,२५६ एकविध अवग्रह ६/२० ऊर्वलोकक्षेत्रफल ४/१६ एकविंशतिप्रकृतिउदयस्थान ७/३२ ऊर्ध्वलोकप्रमाण ४/३२,४१,५१ एकस्थान ११/३१३ ऊर्ववृत्त ४/१७२ एकस्थानदण्डक ८/२७४ ऊवंक १२/१३०,१३१ एकस्थानिक ८/२४९ ऊहा १३/२४२ एकस्थानिका १५/१७४; १६.५३६ ४/२२६ परिशिष्ट ७ / ८६१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 915 916 917 918 919 920 921 922 923 924 925 926 927 928 929 930 931 932 933 934 935 936 937 938 939 940 941 942 943 944 945 946 947 948 949 950 951 952 953 954 955 956 957 958 959 960 961 962 963 964 965 966 967 968 969 970 971 972 973 974