Book Title: Shatkhandagama Parishilan
Author(s): Balchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 863
________________ शब्द जागर सुदोवजोग जाण जागुगसरीरदव्वकदी जाणुगसरीर भवियवदिरित्तदव्वकदी जादिणाम जादिणामकम्म जिण जिणाबिंब जिणमहिम जिद जिभिदियअत्योग्गहा वरणीय जिभिदियआवायावरणीय जिब्भिदियई हावरणीय जिभिदियधारणावरणीय जिभिदियवंजणोग्गहावरणीय जीव जीवअप्पा बहुअ जीवणियद्वाण जीवभावबंध जीवमज्झपदेस जीवसमास जीवसमुदाहार जीविद जुग जुदि जुम्म जोइसिय जोग Jain Education International सूत्रांक ४, २, ६ व ८ ५,६,४१ ४,१,६३ व ६५ ४,१,६५ १, ६ १, २८ व ३० तथा ५, ५, १०१ व १०३ १, ६ १,३० १,६-८, ११ व ३,४२ १, ६-६, २२ व ३०, ३७ १, ६ - ६, ३७ व ४० ४, १, ५४ व ६२ तथा ५, ५, १२ एवं ५, ६, १२ व २५ ५,५, २८ ५, ५, ३२ ५,५, ३० ५, ५, ३४ ५,५,२६ ४, १, ५१ व ५, ३,१०,५, ४, १०,५, ५, ६ तथा ५, ६, ७ ५,६,५६८ ५, ६, ६० ५,६,१३-१६ ५,६,६३ १, १, २ व ५ तथा ३, ४ ४,२,६,१६५-६६ व ४,२,७, २६८ ५. ५,६३ व ७२ ५,५, ५० व ५, ६,४१ ५, ५,८२ ४,२,७ व १६८, २०३ १,१,६६ १,१,४ व ४७ पुस्तक ११ १४ ह 73 ६,१३ ६ ६; ८ ६; १३; १४ १३ " 77 33 21 १४ " १९८ ११:१२ १३ १३,१४ १३ १२ १ 33 पृष्ठ For Private & Personal Use Only ८८ ३८ २६६, २०२ ६; १३;१४ २४६;६,४०,२००;४ १४ २७२ ५०,६७,३६३; ३६७ ६७ २४३ ; ६१ ४२७४२६४३२ ४३२४३४ २५१,२६८; २०३; ७;२७ २२७ २३२ २३०-३१ २३३ २२१ ४६५ ३५४ ६; १६ ४६ ६१; १५३; ५ ३०८३११:२४१ ३३२,३४१ २६८३८ ३४६ ८८; १३४ ३३५ १३२:२७८ परिशिष्ट ३ / ८०७ www.jainelibrary.org

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