________________
प्रकृत 'बन्धस्वामित्वविचय' में सूत्र ( ५-६ ) की व्याख्या करते हुए उन्हें देशामर्शक बतलाकर उनके आश्रय से २३ प्रश्नों को उठाकर, 'कर्मबन्ध सप्रत्यय है या अप्रत्यय' इन दो (१०११) प्रश्नों के साथ धवला में उन प्रत्ययों की प्ररूपणा विस्तार से की गयी है, ( पृ० १६ ) जिसका स्पष्टीकरण इस तालिका के होता है
गुणस्थान
कषाय २५
१. मिथ्यात्व
२. सासादन ३. मिश्र
४. असंयत ५. देशसंयत
६. प्रमत्तसंयत
७. अप्रमत्तसंयत
८. अपूर्वकरण
६. अनिवृत्तिकरण
भाग १
भाग २
भाग ३
भाग ४
भाग ५
भाग ६
भाग ७
(७) कर्मबन्धकप्रत्यय तालिका
(बन्धस्वमित्वविचय, खण्ड ३, पु० ८, पृ० १६-२४)
मिथ्यात्व अविरति
५
१२
१०. सूक्ष्मसाम्पराय ११. उपशान्तकषाय १२. क्षीणमोह १३. सयोगकेवली
Jain Education International
५
१२
17
१४. अयोगकेवली
७८४ / षट्खण्डागम-परिशीलन
२५
"
२१ (अनन्तानुबन्धी क्रोधादि ४ को छोड़कर)
37
११ (त्रस- १७ ( अप्रत्याख्यान असंयम से चतुष्टय से रहित ) रहित)
13
१३ उपर्युक्त
७ मोकषाय ६ से रहित
६ नपुंसक वेद से रहित
५ स्त्रीवेद से रहित
योग १५
समस्त
५७
१३ (आहारद्विक से रहित ) ५३
१३ ( प्रत्याख्यान चतुष्टय ११ ( आहारक से सहित से रहित ) पूर्वोक्त ६ )
E (आहारद्विक से रहित
उपर्युक्त )
उपर्युक्त
४ पुरुषवेद से रहित ३ संज्वलन क्रोध से रहित
२ संज्वलनमान से रहित
१ संज्वलनमाया से रहित
77
४३
१० (आहारद्विक, ओदारिकमिश्र, वैऋियिक मिश्र व कार्मण से रहित १३ (आहारद्विक से रहित ) ४६ ६ (आ० द्विक, औ० मिश्र, वैक्रियिकद्विक व कार्मण से रहित)
३७
"
६ (आ०द्विक, औ० मिश्र, वै० द्विक व कार्मण से रहित )
For Private & Personal Use Only
""
33
"1
"
"1
"
७ (सत्य, अनुभय मन तथा वचन, औ०द्विक व कार्मण )
""
२४
२२
२२
१६
१५
१४
१३
१२
११
१०
""
&
""
७
www.jainelibrary.org