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(६) बन्धोदय-तालिका
(बन्धस्वामित्वविचय, खण्ड ३, पुस्तक ८) कौन प्रकृति स्वोदय से, कौन परोदय से और कौन स्व-परोदय से बंधती है; तथा कौन प्रकृति सान्तरबन्धी, कोन निरन्तरबन्धी और कौन सान्तर-निरन्तरबन्धी है; इसकी प्ररूपणा 'बन्धस्वामित्वविचय' नामक तीसरे खण्ड में की गयी है। उसका स्पष्टीकरण संक्षेप में इस तालिका से हो जाता है
प्रकृतिसं०
प्रकृतिनाम
स्वोदय, परोदय सान्तर, निरन्तर EE व स्व-परोदय व सान्तर
बन्धी निरन्तरबन्धी
बन्ध किस गुणस्थान | से किस गुणस्थान तक
| उदय किस गुणस्थान से किस गुणस्थान तक .
पु० ८ पृष्ठ
स्वोदयबन्धी निरन्तरबन्धी
१-१०
१-५ ज्ञानावरण ५ ६-६ चक्षुदर्शना
वरणादि ४ १०-११ निद्रा, प्रचला २
.
स्व-परोदयबन्धी
r
१-८ १-२
१-१२ १-६
m
१२-१४ निद्रानिद्रादि ३ १५ सातावेदनीय
३५
सान्त रनिरन्तर
बन्धी
सान्तरबन्धी स्वोदयबन्धी निरन्तरबन्धी स्वोदय-परो०
१-१४ १-१४
४०
و
१-१३ १-६
१ १-२
ن
१-२
३
४६
१.४ १-५
असातावेदनीय
मिथ्यात्व १८-२१ अनन्तानबन्धी ४ २२-२५ अप्रत्याख्या
नावरण ४ २६-२६ प्रत्याख्याना० ४ ३०-३२ संज्वलनक्रोधादि ३ ३३ संज्वलनलोभ ३४-३५ हास्य, रति २ ३६-३७ अरति, शोक २ ३८-३६ भय, जुगुप्सा २ ४० नपुंसकवेद
स्त्रीवेद पुरुषवेद नारकायु
१४ १- ५ ५० १-१ ५२,५५ १-१०
१-८ १-८
१-८
सान्तरनि० सान्तरबन्धी निरन्तरबन्धी १८ सान्तरबन्धी
१-२ सान्तर-नि० निरन्तर०
४२
१-8
५२
१-६ १-४
परोदयबन्धी
४२
परिशिष्ट १ / ७८१
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