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शासन सम्राट : जीवन परिचय.
लिए अत्यंत आनंद की बात होती है । उनके पिता लक्ष्मीचंदभाई
और माता दिवाली बहन के आनंद की सीमा न थी । दिपावलीपर्व के बाद दूसरे दिन नूतन वर्ष आता है । दिवाली बहन का नाम भी एक तरह से सार्थक हुआ । उसमें भी कोई शुभ शकुन रहा होगा । बालक जन्म के पश्चात लक्ष्मीचंदभाई ने महुवा के विद्वान ज्योतिषी श्री विष्णुभाई भट्ट को बुलाया । जन्म समयकी जानकारी देकर जन्मकुंडली बनाने को कहा । बाद में लक्ष्मीचंदभाई उनके घर बालक की कुंडली लेने गए । ज्योतिषी भी उस कुंडली से आश्चर्यचकित हुए थे । उन्होने कहा 'यह तो कोई उच्चकोटि की कुंडली है । आपके पुत्र का जन्म-लग्न कुंभ लग्न है । जिस व्यक्ति का जन्म कुंभ लग्न में हो वह व्यक्ति महान साधु होता है । ऐसा हमारा ज्योतिषशास्त्र कहता है । जोषी (ज्योतिषियों) में कहा जाता है- कुंभ लग्न का पुत्र होवे बड़ा अवधूत' । अतः आपका पुत्र बडा होकर जैन साधु बनेगा, कुंडली देखकर मुझे यह संभावना लगती है ।
यह सुनकर लक्ष्मीचंद भाई के आनंद की कोई सीमा न रही । घर आकर परिवार के लोगों से उन्होंने बात की, तो घर में हर्ष का वातावरण छा गया । पालने में सोये बालक को सभी लाड-प्यार से बुलाने लगे । शालाप्रवेश :
बालक का नाम राशि के अनुसार नेमचंद रखा गया । लक्ष्मीचंदभाई के दो पुत्र और तीन पुत्रियाँ थी । बालक नेमचंद के