Book Title: Shasan Samrat Jivan Parichay
Author(s): Ramanlal C Shah, Pritam Singhvi
Publisher: Parshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth Pratishthan

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Page 30
________________ शासन सम्राट : जीवन परिचय. २५ मनुष्य मरने लगे थे । मूक प्राणियों की स्थिति इससे भी दयाजनक थी । लोगों के पास अपने चौपायों को खिलाने के लिए घासचारा या उसके लिए पैसा नहीं था । अतः वे कसाई के हाथों अपने प्राणी बेच देते थे । महाराज श्री को लगा कि प्राणियों को बचाने के लिए कोई व्यवस्था करनी चाहिए । एक दिन पेटलाद में महाराजश्री उपाश्रय में बैठे थे । तभी रास्ते में देखा कि कोई मनुष्य कुछ भैसों को ले जा रहा था । उसकी चाल और हावभाव से महाराजश्री को लगा कि अवश्य वह कसाई है । पाठशाला के विद्यार्थिओं द्वारा चुपचाप जानकारी करवाने पर महाराजश्री को मालूम हुआ की उनका अनुमान सच्चा है । अब इन भैसों को कैसे बचाया जाय ? महाराजश्री ने विद्यार्थियों को मार्ग बताया । विद्यार्थियों ने भैसों के पास जाकर उन्हें इस तरह भडकाया कि सभी भैसें यहांवहां भाग गई । कसाई के हाथ एक भी न लगी, बाद में भी वे न मिली । कसाई ने विद्यार्थियों के विरुद्ध शिकायत की । केस चला । न्यायाधीश ने विद्यार्थियों को छोड दिया । महाराजश्री ने चौपायों के निर्वाह के लिए स्थायी फंड एकत्रित किया और पशु सुरक्षा गृह (पांजरापोल) की व्यवस्था सुदृढ बनाई । पेटलाद से महाराज श्री मातर, खेडा इत्यादि स्थलों पर विहार करते हुए कहीं गांव में व्याप्त कुसंप का निवारण करते, तो कहीं देरासर या उपाश्रय के जिर्णोद्धार के निर्वाह के लिए उपदेश देते . तो

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