Book Title: Shasan Samrat Jivan Parichay Author(s): Ramanlal C Shah, Pritam Singhvi Publisher: Parshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth PratishthanPage 39
________________ शासन सम्राट : जीवन परिचय. ३४ अहमदाबाद के विराम के दौरान महाराजश्री ने चार मुमुक्षुओं को अहमदाबाद में दीक्षा दी और मुमुक्षुश्री उजमशीभाई घीया के परिजनों का विरोध होने से मातर के पास देवा नामक गांव मे दीक्षा दी । ये उजमशीभाई अर्थात मुनि उदयविजयजी को उनके परिवारजनों की इच्छानुसार बडीदीक्षा खंभात में दी गई और सं. १९६२ का चातुर्मास महाराजश्री ने खंभात में ही किया और उस दौरान अपने शिष्यों को शास्त्राभ्यास करवाया । खंभात के चातुर्मास के बाद सुरत संघ के आग्रहवश महाराजश्रीने चातुर्मास सुरत में करने के लिए विहार (प्रयाण) किया । किन्तु बोरसद में एक शिष्य मुनि नयविजयजी कालधर्म को प्राप्त हुए । उस समय प्लेग का रोग फैला था, उसका प्रभाव दो शिष्यों को होने से महाराज श्री को शिविर में रहना पड़ा । सद्भाग्य से शिष्य स्वस्थ हो गए । किन्तु तत्पश्चात् महाराजश्री को ज्वर और संग्रहणी हो गए । अंततः सुरत के चातुर्मास का कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा । स्वस्थ होने पर वे विहार करके अहमदाबाद आए । खंभात में प्रतिष्ठा, हस्तप्रतों की व्यवस्था, कन्याशालाकी स्थापना : उसके बाद महाराजश्री छाणी, वडोदरा, डभोई, इत्यादि स्थलों पर विहार करते हुए खंभात पधारे, क्योंकि यहां उनके हस्तकमलों से जीरावला पाडा के १९ गभारावाले चिंतामणि प्रार्श्वनाथ के देरासर की प्रतिष्ठा होने वाली थी । प्रतिष्ठा विधि महोत्सवपूर्वक पूर्ण हुई। महाराजश्री ने वि.सं. १९६३ का चातुर्मास भी खंभात में किया ।Page Navigation
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