Book Title: Shasan Samrat Jivan Parichay
Author(s): Ramanlal C Shah, Pritam Singhvi
Publisher: Parshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth Pratishthan
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शासन सम्राट : जीवन परिचय.
की उनकी भावना है और उसका तमाम खर्च वे स्वयं उठाएंगे । महाराज श्री ने उन्हें कहा कि 'भाईयों हम गुजरात की ओर से अभी ही मारवाड आए हैं और तुरंत ही वापस गुजरात जाने की अनुकूलता नहीं है परन्तु यदि संघ निकालना ही हो तो जेसलमेर का निकालो क्योंकि हमें अभी उस क्षेत्र में विचरण करने की इच्छा है ।'
सादडी के उन श्रेष्ठीओं ने महाराज श्री का प्रस्ताव सहर्ष स्वीकार किया । इतना ही नहीं किन्तु उन्हें सिद्धाचलजी का संघ निकालने की भावना थी उसके प्रतीक स्वरूप उन्होंने आणंदजी कल्याणजी की पेढी को पांच हजार रुपये भेज दिए । . महाराज श्री विहार करके पालडी गांव पधारे और शुभ दिन देखकर महाराज श्री की निश्रा में संघ ने जेसलमेर की तीर्थयात्रा के लिए प्रयाण किया ।
___ गांव-गांव का भ्रमण करते हुए संघ फलोधी आ पहुंचा। इस प्राचीन ऐतिहासिक तीर्थस्थल में लंबे अरसे से मतभेद चल रहा था और दो पक्ष हो गए थे । यह बात महाराजश्री के पास आई । महाराज श्री को फलोधी के संघ में एकता करवाने की भावना उत्पन्न हुई । किन्तु कुछ लोगों ने महाराज श्री को परामर्श दिया कि: 'यहां बडे-बडे महात्मा आ गए किन्तु उनसे भी यहां का कलह शांत नहीं हुआ । अतः इसमें पड़ने जैसा नहीं है । किन्तु महाराज श्री ने निर्णय कर लिया कि भले सफलता प्राप्त हो या न हो किन्तु उन्हें प्रयास तो अवश्य करना चाहिए । इसीलिए यदि संघ को कुछ