Book Title: Shasan Samrat Jivan Parichay
Author(s): Ramanlal C Shah, Pritam Singhvi
Publisher: Parshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth Pratishthan

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Page 81
________________ शासन सम्राट : जीवन परिचय. ७६ तथा आचार की शिथिलता इन सभी के बारे में चर्चा की आवश्यकता थी । पदवी की दृष्टि से महाराजश्री विजयनेमिसूरि सबसे बड़े थे अतः उनकी निश्रा में आयोजित इस मुनि संमेलन में ४५० आचार्यादि साधु महाराजों, ७०० साध्वीजी उपस्थित रहे थे । ३४ दिन चले इस सम्मेलन में प्रत्येक विषय की गहराई से और व्यवस्थित ढंग से विचारना हुई थी । उस समय के बडे बडे आचार्य जैसे कि श्री विजयदानसूरि, श्री विजयलब्धिसूरि, श्री सिद्धिसूरि, श्री विजयप्रेमसूरि, श्री विजयनीतिसूरि, श्री सागरानंदसूरि, श्री विजयउदयसूरि, श्री विजयनंदनसूरि, श्री विजयवल्लभसूरि, पं. श्री रामविजयजी, श्री पुण्यविजयजी, श्री विद्याविजयजी इत्यादि ने इस संमेलन में भाग लिया था । सम्पूर्ण कार्यवाही अत्यंत व्यवस्थित और जिनशासन के अनुसार थी । संमेलन में प्रस्ताव का पट्टक सभी को पढ़कर सुनाया गया और उसे प्रत्येक को आचरण में लाना था । इस सम्मेलन की सफलता में नगरशेठा तथा अन्य श्रेष्ठियों ने तन, मन, और धन से अच्छा योगदान दिया था । महाराजश्री विजयनेमिसूरि की निश्रा में इतने सारे साधु एकत्रित हुए और इतने सारे दिन साथ में मिलकर विचार विमर्श किया वही सूचित करता है कि महाराजश्री का स्थान चतुर्विध संघ में कितना महान और आदरपूर्ण था _ वि.सं. १९९०में महाराजश्री ने जावाल में जिनमंदिर में प्रतिष्ठा करवाई और तत्पश्चात् चातुर्मास भी वहीं किया । चातुर्मास के बाद महाराजश्री अहमदाबाद पधारे ।

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