Book Title: Shasan Samrat Jivan Parichay
Author(s): Ramanlal C Shah, Pritam Singhvi
Publisher: Parshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth Pratishthan

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Page 87
________________ शासन सम्राट: जीवन परिचय. का दिन अच्छी तरह बीत गया किन्तु शामको गांव के बाहर दालान में बैठकर संघ के श्रावकगण संवत्सरी का प्रतिक्रमण कर रहे थे । उस समय बरगद की एक डाली भयानक आवाज के साथ टूटी 1 नसीब से किसी को चोट नही आई । किन्तु यह अशुभ संकेत था । पर्युषण पर्व पूर्ण हुआ । अब प्रतिष्ठा की तैयारी प्रारंभ हो गई । उस संदर्भ में चर्चा विचारणा करने के लिए अहमदाबाद के कुछ श्रेष्ठीवर्य महाराजश्री से मिलने आ गए । भादों वद अमावस्या की रात आकाश से एक बड़ा तारा तूटा और धडाके का आवाज हुआ । ये भी एक अशुभ संकेत था । जैसे किसी महापुरुष का वियोग होनेवाला न हो ! उसी रात बाजार में पान सुपारी की दुकान के दुकानदार भाई को ऐसा स्वप्न आया कि पूज्य नेमिसूरि दादा की स्मशानयात्रा बेन्डबाजे के साथ निकली है और हजारों आदमी उसमें जुड गए हैं । ये सब जैसे जैसे दुकान के पास से गुजरते है वह उनको चाय पिलाते थे । ८२ आश्विन (आसो) महीने की ओली के दिन निर्विघ्न बीत गए । तत्पश्चात महाराजश्री मलोत्सर्ग करके वापस आ रहे थे तब उन्हें सहारा देने के लिए श्री उदयसूरि और श्री नंदनसूरि साथ में थे फिर भी अचानक समतुला खो देने से महाराजश्री गिर पडे । उनके पेर में बैठीचोट लगी । उसका उपचार प्रारंभ हुआ । इतने में महाराज श्री को सर्दी और खांसी हुई । इतना ही नही ज्वर भी आने लगा । कभी कभी पल्टी (उल्टी) भी होने लगी । महाराजश्री

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