Book Title: Shasan Samrat Jivan Parichay Author(s): Ramanlal C Shah, Pritam Singhvi Publisher: Parshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth PratishthanPage 65
________________ शासन सम्राट : जीवन परिचय. ६० पहुंचे । बहुत अधिक शोरगुल हुआ । किन्तु सभी श्रावक गढ़ के अंदर प्रविशष्ट हो गए थे । और गढ़का द्वार बंद था अतः जाटों ने गढ़ को घेर लिया । बाहर से वे पत्थर मारते और गोली छोड़ रहे थे किन्तु सदभाग्य से गढ़ के अंदर कोई घायल नहीं. हुआ । ___अगले दिन जाटों के आक्रमण की अफवा आई कि फौरन महाराजश्री की सूचना के अनुसार मुनीम पन्नालालजी ने रक्षण प्रदान करने के लिए जोधपुर राज्य के महाराजा को प्रार्थना करने के लिए एक काबिल मनुष्य को चुपचाप रवाना कर दिया था । ये समाचार महाराजा को मिलते ही दीवान जालमचंदजी के प्रयास से ऊँटसवारों का सैन्य-दल कापरडाजी के लिए फौरन रवाना कर दी गई । रात के समय जब यह हंगामा हो रहा था तब राज्य का सैन्य आनेकी बात जानकर जाट लोग भागदोड करने लगे । बहुत से लोगों को पकड लिया गया । थोडी देर में तो आक्रमणकारी में से कोई वहां न रहा । स्थानिक जाट लोग भी भयभीत हो गए । तीर्थ में बिल्कुल शांति स्थापित हो गई । गढ़ के द्वार खुल गए और शेष रात्रि शांतिपूर्ण ढंग से सभी ने बिताई । दूसरे दिन सुबह नियत समय में द्वारोद्घाटन की विधि हुई और उपस्थित अंतराय कर्म शांत होने पर हर्षोल्लासपूर्वक प्रतिष्ठा महोत्सव का कार्यक्रम पूर्ण हुआ । क्रमशःश्रावक बिरवरने लगे और कापरडाजी तीर्थ को राज्य की ओर से रक्षण प्राप्त हुआ । __ थोडे समय के बाद जाट लोगों ने चामुंडा माता और भैरवजी के अधिकार के लिए अदालत में दावा किया था किन्तु वे हार गए थे । कापरडाजी का जिनमंदिर देव देवी सहित जैनोंPage Navigation
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